बारिश का मौसम अपने साथ हरियाली और ठंडक तो ले आता है, लेकिन ये मौसम पशुपालकों के लिए चिंता का सबब बन जाता है. दरअसल, बारिश के बाद खेत-खलिहानों में चारों तरफ हरी-हरी घास उग आती हैं, जिसे किसान काटकर अपने मवेशियों को चारे के तौर पर खिलाते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि बरसात के दिनों में उगी हर घास जानवरों के लिए फायदेमंद नहीं होती? कुछ घास ऐसी भी होती हैं, जो पशुओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं पशुपालकों को किन बातों की सावधानी बरतनी चाहिए और बरसात के मौसम के पशुओं को कौन सा चारा नहीं खिलाना चाहिए.
पशु एक्सपर्ट की मानें तो बरसात के मौसम में तराई वाले इलाकों यानी जहां पानी जमा रहता है, वहां की घास पशुओं को नहीं खिलाना चाहिए, क्योंकि वहां की घास में कई तरह हानिकारक कीड़े-पतंगे आसानी से पनप जाते हैं. ऐसे में इस तरह की घास अगर पशुओं को खिला दी जाए तो पेट में इंफेक्शन, अपच या अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए किसान और पशुपालक इस तरह की घास से बचें और साफ-सुथरी, सुरक्षित जगह की ही घास अपने पशुओं को खिलाएं.
बारिश में पशुपालकों को खानपान को लेकर विशेष सावधानी बरतनी चाहिए. पशुपालकों को बारिश के मौसम में पशुओं को गीला या नमीयुक्त चारा भूलकर भी नही खिलाना चाहिए. क्योंकि नमी के कारण चारे में फंगल इन्फेक्शन फैल जाता है. ऐसे में अगर पुश ऐसे चारे का खाते हैं, तो उनमें बीमार पड़ने की संभावना काफी बढ़ जाती है.
पशु एक्सपर्ट की मानें तो बारिश का पहला पानी पशुओं पर नहीं पड़ने देना चाहिए. इससे उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और बीमारियों का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है. इसके अलावा कोशिश करें कि खेतों के किनारे की घास न खिलाएं. इन जगहों पर पानी जमा होने से कीटाणु अधिक मात्रा में होते हैं, जो पशुओं के पेट में जाकर संक्रमण फैला सकते हैं.
बारिश के मौसम में हरे चारे के विकल्प पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए. इसमें नेपियर, मक्का जैसी घास या चारे की फसलें जानवरों के लिए सुरक्षित रहती हैं, क्योंकि इनमें कीटाणुओं के पनपने की संभावना कम होती है. इसके अलावा ऊंची जगहों की घास भी जानवरों को दी जा सकती है. साथ ही बरसात में पशुओं का टीकाकरण जरूर करवाना चाहिए, ताकि किसी भी संक्रमण या बीमारी से उनका बचाव हो सके.