महाराष्ट्र के नांदेड़ में दिन-ब-दिन लंपी वायरस का खतरा बढ़ता जा रहा है. इसके बढ़ते प्रकोप को देखते हुए नांदेड़ प्रशासन ने पूरे जिले को' प्रभावित क्षेत्र' घोषित कर दिया है. वहीं जिले में जानवरों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. जिले में मवेशियों की संख्या पांच लाख दो हजार 428 है, जिनके लिए पांच लाख दो हजार 400 टीके प्राप्त हुए हैं. अभी तक चार लाख 67 हजार मवेशियों को टीका लगाया जा चुका है. 93 फीसदी टीकाकरण हो चुका है. इसको लेकर अधिकारी का कहना है कि एक अप्रैल से अब तक 493 पशुओं की मौत हो चुकी है, जिसमें छोटे मवेशियों की संख्या अधिक है. सभी मवेशियों के लिए औषधियां और उपचार की भी योजना बनाई जा रही है.
लंपी बीमारी का इलाज निशुल्क किया जा रहा है. नांदेड़ जिले ने लंपी घोषित होने के कारण बाहर से आने वाले जानवरों पर प्रतिबंध लगा दिया है. मवेशियों के साप्ताहिक बाजार पर ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं है. लेकिन अब बाजार प्रतिबंध पर भी निर्णय लिया जाएगा.
नांदेड़ जिले में लंपी रोग फिर से फैलने के कारण नांदेड़ जिले को लंपी घोषित कर दिया गया है. जिले में पांच लाख दो हजार 428 मवेशी हैं और इनमें से कई जानवरों को लंपी रोग हो गया है. इसमें से अब तक 493 जानवरों की मौत हो चुकी है. इसमें बछड़ों की संख्या सबसे अधिक है. जिला परिषद के पशु कल्याण विभाग ने इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए तैयारी शुरू कर दी है.
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जिले में अभी तक मवेशियों के लिए पांच लाख दो हजार 400 टीके प्राप्त हुए हैं. उनमें चार लाख 67 हजार पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है. यानी पशु कल्याण विभाग द्वारा 93 प्रतिशत टीकाकरण किया जा चुका है. जिले के सभी पशु स्वास्थ्य केंद्रों में दवाएं उपलब्ध हैं और सभी उपचारात्मक योजनाएं लागू की जा रही हैं. जिले में "माजा गोटा स्वच्छ गोटा" अभियान चलाया जा रहा है. चूंकि नांदेड़ जिले को ढेलेदार (पशुओं के शरीर पर निकलने वाली गांठें) घोषित कर दिया गया है, इसलिए जिले के बाहर से जानवरों को नांदेड़ में लाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
जिले के चेक पोस्ट पर बाहर से आने वाले पशुओं की जांच की जा रही है. साप्ताहिक पशु बाजारों पर फिलहाल कोई रोक नहीं है. जिला पशु संरक्षण पदाधिकारी भूपेंद्र बोधनकर ने बताया कि यदि बढ़ोतरी होती है तो जिलाधिकारी इस संबंध में निर्णय लेंगे.