Bird Flu Alert In UP: यूपी में बर्ड फ्लू की रोकथाम के लिए सतर्कता बढ़ा दी गई है. इसी कड़ी में लखनऊ जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार ने पशुपालन विभाग के अधिकारियों को आदेश जारी किया हैं. डीएम लखनऊ ने एवियन इन्फ्लूएंजा (Bird Flu) की बीमारी की रोकथाम की तैयारियों के सम्बन्ध में निर्देशित किया गया कि एवियन इन्फ्लूएंजा के नियन्त्रण हेतु किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने हेतु जनपद स्तरीय टास्क फोर्स को सतर्क रहने को कहा गया. जिले में स्थित वॉटर बॉडीज़ पर निगरानी हेतु सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों को सतर्क रहने हेतु कहा गया है. वहीं मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, लखनऊ द्वारा बताया गया कि जनपद में बर्ड फ्लू की रोकथाम की तैयारियों हेतु जनपद में 5 रैपिड रिस्पांस टीम (RRT) का गठन किया जा चुका है. प्रतिमाह विभिन्न पशु चिकित्सालयों के माध्यम से सीरम, क्लोएकल तथा नेजल सैम्पल परीक्षण हेतु आईवीआरआई, बरेली प्रेषित किये जाते हैं.
इसके अलावा जिले के पोल्ट्री फार्मों को भी अलर्ट पर रखा गया है. हालांकि अभी तक बर्ड फ्लू का कोई भी मामला सामने नहीं आया है. लेकिन विभाग सुरक्षा को लेकर पहले ही अलर्ट हो गया है. पशुपालन विभाग ने लोगों से अपील की है कि यदि किसी पक्षी की प्राकृतिक रूप से मौत हुई है, तो इसकी सूचना विभाग को दें.
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आपको बता दें कि बर्ड फ्लू मुर्गियोें में होने वाला संक्रमण है. यह मुर्गियों से अन्य पक्षियों को हो सकता है. इसलिए एहतियातन पशु चिकित्सा विभाग ने सीमित दायरे में आने वाले संक्रमित मुर्गियों को मारकर दफना देता है. कोशिश रहती है कि संक्रमिण अधिक न फैल पाए. इंसानों को इस वायरस से कितना खतरा है.
मुर्गियों के लिए यह संक्रमण बेहद घातक है. 48 घंटे में ही इस संक्रमण की चपेट में आकर मुर्गियों की मौत हो जाती है. मुर्गियों का डेथ रेट भी 90 से 100 प्रतिशत है.
डॉक्टरों का कहना है कि बर्ड फ्लू से संक्रमित होने पर कई लक्षण देखने को मिल सकते हैं. इनमें बहुत तेज बुखार होना, मसल्स पेन होना, पीठ के ऊपरी हिस्से में बहुत तेज दर्द होना, सिर में दर्द होना, लूज मोशन होना, खांसी और सांस लेने में कठिनाई होना, पेट में दर्द होना, नाक या मसूड़ों से ब्लीडिंग हो जाना शामिल हैं. बर्ड फ्लू वायरस के इन्फेक्शन किसी भी व्यक्ति को अपनी चपेट में ले सकता है. ऐसा भी हो सकता है कि व्यक्ति में लक्षण न दिखें. ऐसा भी संभव है कि लक्षण कम हो और कई बार ऐसा होता है कि लक्षण बहुत अधिक सीरियस हो. पेशेंट की जान तक जा सकती हैं.