Poultry Broiler Farming पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो लाइट मैनेजमेंट मुर्गों का वजन बढ़ाने में मददगार होता है. एक दिन के चूजे से लेकर 35 दिन तक के मुर्गें के लिए लाइट मैनेजमेंट अलग-अलग होता है. अगर फार्म की लाइट जलाने और बंद करने में जरा भी कोताही बरती गई तो इसके चलते मुर्गें बीमार तक हो जाते हैं. उनके खाने पर इसका असर पड़ता है. क्योंकि तेज रोशनी तनाव और आक्रामकता का कारण बनती है, जबकि मंद रोशनी फीड की मात्रा कम कर सकती है.
चिकन की डिमांड पूरी करने के लिए ब्रायलर मुर्गे पाले जाते हैं. पोल्ट्री सेक्टर में इसे ब्रायलर फार्मिंग कहा जाता है. ब्रायलर फार्मिंग में मुनाफा मुर्गों के वजन पर निर्भर करता है. मुर्गों का वजन जितनी तेजी से और ज्यादा बढ़ेगा मुनाफा उतना ही ज्यादा होगा. इसके लिए जितना जरूरी मुर्गों को बीमारियों से बचाकर हेल्दी रखना है उतना ही जरूरी पोल्ट्री फार्म का मैनेजमेंट भी है. जैसे पोल्ट्री फार्म में दिन और रात में कब लाइट जलानी है और कब बंद करनी है.
पोल्ट्री फार्म में होने वाली रोशनी चूजों को उनके शुरुआती दिनों में केज के अंदर फीड और पानी तलाश करने में मदद करती है. रोशनी उनकी दैनिक दिनचर्या को भी नियंत्रित करती है. जैसे आराम, एक्टीविटी और डवलपमेंट.
ब्रायलर फार्मिंग में मुर्गों को हेल्दी रखने के लिए लाइट और अंधेरे दोनों की ही जरूरत होती है. लाइट एक्टीविटी और फीड के लिए चूजों को प्रोत्साहित करती है. जबकि अंधेरा मुर्गियों को आराम करने के लिए वक्त देता है. क्योंकि आराम के दौरान चूजों का शरीर हेल्दी बनता है. वहीं उनकी हड्डियां और मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं.
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