ग्रामीण इलाकों में खेती-किसानी के बाद पशुपालन को काफी महत्व दिया जाता है. शुद्ध दूध,दही लिए किसान बड़े पैमाने पर भैंस का पालन करते हैं. लेकिन अब भैंस पालन का इस्तेमाल व्यावसायिक तौर पर भी किया जाने लगा है, ताकि मुनाफा कमाया जा सके. ऐसे में लोग इन भैंस की खरीदी तो करते हैं लेकिन सही भैंस का चयन नहीं कर पाते हैं जिस वजह से उन्हें उतना दूध नहीं मिल पाता है और उन्हें नुकसान का सामना करना पड़ता है. ऐसे में पशुपालक जब भी भैंस खरीदें तो इन तीन जरूरी बातों का विशेष ध्यान रखें, ताकि इस तरह के नुकसान का जोखिम ना उठाना पड़े.
दुग्ध उत्पादन क्षमता की करें जांच: यदि आप दूध का व्यापार करने के उद्देश्य से भैंस खरीद रहे हैं, तो भैंस की दूध देने की क्षमता की जांच कर लें. वह 2 बार दूध देती है या नहीं. इसके अलावा भैंस के स्वभाव की जांच कर लें क्योंकि अधिकांश भैंस केवल कुछ निश्चित व्यक्तियों के दुहने पर ही दूध देती हैं. इसलिए आप खुद 2-3 दिनों तक दूध दुह कर देख लें. इसके अलावा उसके थन की जांच कर लें कि दूध की धार सीधे पात्र पर गिरती है या नहीं. साथ ही यह भी देख लें कि दूध दुहने के बाद पशु का थन कहीं सिकुड़ तो नहीं रहा है.
प्रजनन क्षमता की कर लें जांच: यदि भैंस के प्रजनन क्षमता की बात करें तो अधिकतर भैंस वही होती हैं जो प्रति वर्ष बच्चा दे. इसलिए भैंस खरीदते समय उसके प्रजनन क्षमता की जानकारी अच्छी तरह से लें क्योंकि कई बार पशुओं में यह समस्या वंशावली भी हो सकती है. इसलिए ऐसा होने पर गर्भपात होना या स्वस्थ बच्चा न देने, प्रसव के समय अन्य कठिनाई जैसी अनेक समस्याएं आ सकती हैं.
भैंस के स्वास्थ्य की कर लें जांच: भैंस खरीदते समय उनके स्वास्थ्य की जांच करना सबसे महत्वपूर्ण होता है. भैंस के स्वभाव को देखकर आप आसानी से उनके स्वास्थ्य की जानकारी ले सकते हैं. जैसे उसकी स्वभाव में चंचलता है या नहीं, भोजन चबा कर खा रही है या नहीं. सहलाने पर किस तरह की प्रतिक्रिया है आदि. यदि आप जांच नहीं कर सकते तो भैंस खरीदते समय किसी अनुभवी और समझदार व्यक्ति की सलाह ले सकते हैं.
इसके अलावा भैंस के टीकाकरण की जानकारी या पूर्व में आई संक्रमित बीमारियों के लक्षण दिखने पर भैंस को न खरीदें, क्योंकि हवा, पानी बदलने से भैंस में स्वास्थ्य संबंधी समस्या होना लाजिमी है. घर लाने के बाद भी भैंस की साफ सफाई और खानपान का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है. साथ ही भैंस को चिकित्सकों के संपर्क में रखें और उनकी सलाह पर ही भोजन-पानी दें.