देश में मीट का उत्पादन और उसकी डिमांड दोनों ही बढ़ रहे हैं. बड़ी मात्रा में मीट एक्सपोर्ट भी होता है. मीट के बढ़ते उत्पादन और डिमांड के बदलते मानक पर चर्चा करने के लिए देश की बड़ी वेटरनरी यूनिवर्सिटी में वर्कशॉप का आयोजन किया गया था. वर्कशॉप का विषय मीट और मीट प्रोडक्ट का महत्व था. भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI), बरेली में इस वर्कशॉप का आयोजन किया गया था. इसमे नेशनल मीट रिसर्च इंस्टीट्यूट के डॉयरेक्टर भी शामिल हुए.
इसके अलावा मीट कारोबार से जुड़े 100 से ज्यादा लोगों ने भी इस वर्कशॉप में हिस्सा लिया. इसी वर्कशॉप में चर्चा हुई कि मीट का उत्पादन और डिमांड बढ़ने के पीछे तीन खास वजह हैं. इसमे से दो वजह ऐसी हैं जिसके चलते आगे चलकर मीट की डिमांड और बढ़ने वाली है.
IVRI में वर्कशॉप के दौरान निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि मीट उत्पादन और डिमांड बढ़ने के पीछे जो तीन बड़ी वजह हैं उसमें बढ़ती आबादी, इनकम बढ़ना और एनीमल प्रोटीन की जरूरत है. यही वजह है कि बीते दशक में भारत का मीट उत्पादन हर साल 4.85 फीसद की दर से बढ़ा है. एक और खास बात ये है कि मीट सभी एनीमल प्रोडक्ट में सबसे ज्यादा एक्सपोर्ट किए जाने वाला प्रोडक्ट है. हालांकि एक्सपोर्ट के दौरान मीट में कुछ परेशानी भी आ रही हैं, जैसे पशु कल्याण, रोगाणुरोधी प्रतिरोध, आहार सम्बन्धी बीमारियों जैसे कुछ मुद्दे हैं जिन्हें दूर करने की जरूरत है.
वहीं इस मौके पर संयुक्त निदेशक, शैक्षणिक डॉ. एसके मेंदीरत्ता ने बताया कि पिछले कुछ दशकों के दौरान मीट उपभोक्ताओं की डिमांड में बदलाव आया है. आजकल के उपभोक्ता मीट की गुणवत्ता, पोषकता, पशु कल्याण और पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति भी जागरूक हो रहे हैं.
संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. रूपसी तिवारी ने बताया कि भारत में बहुत कम मीट की प्रोसेसिंग होती है. लेकिन बढ़ती आबादी, इनकम और एनीमल प्रोटीन की बढ़ती डिमांड के चलते मीट सेक्टर की रफ्तार बढ़ी है. इस दौरान घरेलू और निर्यात पोल्ट्री मीट क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए मुद्दे और रणनीतियों पर एक्सपर्ट ने अपनी-अपनी प्रस्तुतियां भी दीं.
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