Poultry India Expo: पोल्ट्री उत्पादन-खपत बढ़ाने की बात तो ठीक, लेकिन मुर्गियों के लिए मक्का कहां से आएगी-CLFMA

Poultry India Expo: पोल्ट्री उत्पादन-खपत बढ़ाने की बात तो ठीक, लेकिन मुर्गियों के लिए मक्का कहां से आएगी-CLFMA

Poultry India Expo पोल्ट्री का उत्पादन बढ़ाने में हम कामयाब हो चुके हैं. पोल्ट्री की खपत को भी और बढ़ा लेंगे. लेकिन सबसे बड़ा सवाल है पोल्ट्री फीड को बढ़ाने का. फीड को हम कैसे बढ़ाएंगे, उसके लिए हमारे पास क्या प्लान हैं, क्या आने वाले 10-20 साल की तैयारी हम अभी से कर रहे हैं. ये वो सवाल हैं जो पोल्ट्री इंडिया के एक्सपो 2025 में उठ रहे हैं. 

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नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Nov 27, 2025,
  • Updated Nov 27, 2025, 8:36 AM IST

Poultry India Expo पोल्ट्री इंडिया एक्सपो 2025 ही नहीं पोल्ट्री से जुड़े सभी कार्यक्रम में पोल्ट्री प्रोडक्ट अंडा-चिकन का उत्पादन बढ़ाने की बात हो रही है. पोल्ट्री इंडिया के नॉलेज डे में खपत बढ़ाने पर भी चर्चा हुई है. अभी पोल्ट्री एक्सपर्ट के दावों के मुताबिक पोल्ट्री सेक्टर हर साल आठ से 10 फीसद की रफ्तार से बढ़ रहा है. अगर अभी की बात करें तो पोल्ट्री के लिए एक साल में चार करोड़ टन फीड चाहिए होता है. अब 10 फीसद की रेट से पोल्ट्री बढ़ रही है तो हर साल 40 लाख टन फीड की डिमांड बढ़ रही है. 40 लाख टन फीड में कम से कम 20 लाख टन मक्का चाहिए. अब हम बात कर रहे हैं विकसित भारत-2047 की. ये 22 साल आगे का प्लान है. अगर आने वाले 10 साल यानि 2035 की बात करें तो सिर्फ और सिर्फ पोल्ट्री फीड की डिमांड हो जाएगी आठ करोड़ टन. 

इसमे चार करोड़ टन मक्का चाहिए होगा. जबकि इस साल 2025 में मक्का का उत्पादन चार करोड़, दो लाख टन हुआ है. अब ऐसे में जमीन तो बढ़ेगी नहीं, किसी तरह से हमे प्रति हेक्टेयर उत्पादन ही बढ़ाना होगा. अगर ऐसा नहीं हुआ तो फिर पोल्ट्री को आगे बढ़ाने का सपना एक सपना बनकर ही रह जाएगा. ये कहना है कंपाउंड लाइव स्टॉक फीड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (CLFMA) के प्रेसिडेंट दिव्य कुमार गुलाटी का.  

जीएम नहीं तो हाईब्रिड मक्का हो तैयार 

प्रेसिडेंट दिव्य कुमार गुलाटी ने बताया कि हमारे देश में आसीएआर के पास बेहतरीन साइंटिस्ट हैं. अगर सरकार जीएम मक्का उगाने की अनुमति नहीं देती है तो साइंटिस्ट ऐसी हाईब्रिड मक्का तैयार कर सकते हैं जिससे प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़े. क्योंकि बिना उत्पादन बढ़ाए पोल्ट्री का तो काम चलने वाला नहीं है. अगर हम देश से 50 फीसद प्रोटीन की कमी दूर करने पर आ जाएं तो प्रति व्यक्ति् चिकन की खपत 25 किलो हो जाएगी, जो अभी पांच किलो है. सोचिए ऐसे में पोल्ट्री सेक्टर को कितने फीड की जरूरत होगी.

हमारा हाल दो कदम आगे, चार कदम पीछे वाला है

दिव्य कुमार गुलाटी का कहना है कि आज पोल्ट्री का हाल दो कदम आगे और चार कदम पीछे वाला है. बात आत्मनिर्भरता की बात की जा रही है, लेकिन पोल्ट्री के मामले में एक राज्य दूसरे राज्य पर निर्भर है. देश में कुल फीड उत्पादन छह करोड़ टन है. इसमे से चार करोड़ टन से ज्यादा की खपत तो पोल्ट्री में ही हो जाती है. मक्का और सोयामील पोल्ट्री फीड के मुख्य और सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले तत्व हैं. लेकिन आज मक्का का क्या हाल है ये हम सब अच्छी तरह से जानते हैं. और ऐसे में हम बात कर रहे हैं मिशन विकसित भारत-2047 की. इस मिशन में उत्पादन बढ़ेगा. उत्पादन बढ़ाने के लिए हमे कच्चा माल भी चाहिए होगा. जबकि कच्चे माल के रूप में अभी से हमारे पास फीड की कमी है. अभी मक्का के रूप में जो कच्चा माल हमारे पास है उसमे से 80 लाख से एक करोड़ टन मक्का इथेनाल में चली जाती है.

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