देश ही नहीं विदेशों में भी सूखी मछली का बाजार बड़ा है. लेकिन फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो घरेलू ही नहीं विदेशी बाजार में भी सूखी मछली बेचना आसान नहीं है. क्योंकि मछली सुखाने के दौरान साफ-सफाई का ख्याल बहुत रखना होता है. सूखी मछली के मामले में घरेलू से ज्यादा इंटरनेशन मार्केट के नियम बहुत ही सख्त हैं. देश में बड़ी मात्रा में मछली का उतपादन होता है. लेकिन मछली उत्पादन को देखते हुए सूखी मछली का एक्सपोर्ट अभी भी बहुत कम है. हालांकि कुछ नई तकनीक आने के बाद से मात्रा बढ़ी है, लेकिन वो नाकाफी है.
इसी के चलते सीफेट, लुधियाना समेत दूसरे संस्थानों ने मछली सुखाने की नई-नई टेक्नोलॉजी तैयार की है. ये टेक्नोलॉजी खासतौर से छोटे-छोटे मछुआरों को ध्यान में रखकर बनाई गई है. इसके तहत साइंटीफिक तरीके से मछली सुखाई जाती है. अभी तक देश में मछली सुखाने के तरीके पुराने थे. इसी के चलते एक्सपोर्ट बाजार में मानकों पर हमारी सूखी मछली फेल हो जाती थी.
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फिशरीज एक्सपर्ट का कहना है कि मॉनसून का मौसम चल रहा है. ऐसे में साफ-सफाई के साथ मछली सुखाना बहुत टेड़ा काम होता है. क्योंकि मछली सुखाने के लिए जितनी जरूरत धूप की होती है उससे कहीं ज्यादा उसे धूल-मिट्टी और तमाम तरह के मच्छर-मक्खी और दूसरे कीट से बचाने की होती है. ऐसा होने पर ही सूखी मछली के सही दाम बाजार में मिल पाते हैं. कोस्टल एरिया की बात करें तो वहां अभी भी समुद्र किनारे रेत पर और नदी किनारे खुले में मछलियां सुखाई जाती हैं. इस तरीके से मछली सुखाने में साफ-सफाई के मानक पूरे नहीं हो पाते हैं.
इस तरह मछली सुखाने से धूल-मिट्टी आने के साथ ही मछलियों पर मक्खियां भी बैठती हैं. मक्खियां इस पर अंडे भी दे देती हैं और यह बीमारियों की वजह बनती है. कई बार तो मौसम खराब होने पर मछलियां सूख नहीं पाती हैं. इसी को देखते हुए मछलियां को सुखाने के लिए सीफेट ने एक सोलर टेंट ड्रायर बनाया है. इसमे किसी भी तरह की मशीन की जरूरत नहीं है. यह सामान्य चीजों से ही बनाया गया है.
सोलर टेंट के एक हिस्से को ट्रांसपेरेंट बनाया गया है. यहां से धूप पूरी तरह टेंट के अंदर आती है. टेंट के अंदर का हिस्सा पूरी तरह से काले रंग का है. काला रंग धूप की गर्मी अंदर की ओर खींचता है. जिससे टेंट के अंदर गर्मी बढ़ जाती है और हवा भी गर्म हो जाती है. ऐसा होने पर मछली सूखने की प्रक्रिया तेज हो जाती है. टेंट के अंदर मछलियों रखने के लिए चार सेल्फ बनाई गई हैं. सेल्फ जाली की है. जिसका फायदा यह होगा कि सूखने पर कभी-कभी मछली में से पानी टपकता है तो वो जाली के पार हो जाएगा.
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मछली पालन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के आंकड़ों की मानें तो सूखी मछली का एक्सपोर्ट डबल से भी आगे निकल गया है. 5503 करोड़ रुपये की सूखी मछली एक्सपोर्ट की गई है. साल 2021-22 के मुकाबले 58.51 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. और अगर मात्रा के हिसाब से बात करें तो 62.65 फीसद की बढ़ोतरी हुई है. इसके चलते अब ज्यादा से ज्या़दा लोग महंगी कीमत पर कोल्ड में मछली को रखने के बजाए कम लागत पर उसे सुखाकर बेचना पसंद कर रहे हैं. ड्राई आइटम में कटलफिश, सुरमी और आक्टोपस आदि की डिमांड है. गौरतलब रहे कि सोलर ड्रायर और दूसरे तरीके इस्तेमाल होने के बाद ड्राई फिश की क्वालिटी में फर्क आया है.