Animal Care: पशुओं में पानी की कमी है तो ऐसे करें पहचान, गर्मी में जरूर करें ये काम 

Animal Care: पशुओं में पानी की कमी है तो ऐसे करें पहचान, गर्मी में जरूर करें ये काम 

गर्मी में पशुओं के लिए साफ और ताजा पानी पीना बहुत जरूरी है. पानी ना पीने पर किस तरह की परेशानी हो सकती है, उसके लक्षण क्या हैं और परेशानी होने पर किस तरह के नुकसान उठाने पड़ सकते हैं. लेकिन, अगर पानी का ख्याल रखा जाए तो पशु को बीमार होने और उत्पादन कम होने के नुकसान से बचा जा सकता है.  

पशुओं को नहीं पिलाना चाहिए अधिक पानीपशुओं को नहीं पिलाना चाहिए अधिक पानी
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Mar 14, 2025,
  • Updated Mar 14, 2025, 11:37 AM IST

पशुओं के लिए पानी का महत्व किसी भी मायने में चारे से कम नहीं है. इसलिए ये बहुत जरूरी है कि जैसे हम पशुओं के चारे का ख्याल रखते हैं तो उसी तरह से गर्मियों में पीने के पानी का भी ख्याल रखा जाए. अगर पानी पिलाने में जरा सी भी कोताही बरती गई तो 45 डिग्री वाले तापमान, लू वाली तेज गर्म हवाएं और हीट स्ट्रैस के चलते पशुओं को किसी भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. और एक बार अगर दुधारू पशु बीमार पड़ गया तो फिर एक नहीं कई तरह से पशुपालक को नुकसान उठाना पड़ता है. 

पशु के बीमार होने पर दूध उत्पादन कम हो जाता है. बीमारी पर इलाज में पैसा भी खर्च करना पड़ता है. एनीमल एक्सपर्ट का कहना है कि गर्मियों में पानी की कमी के चलते पशुओं को सबसे बड़ी डिहाइड्रेशन और हीट स्ट्रैस जैसी बीमारी का सामना करना पड़ता है. वहीं एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि गर्मियों के दौरान पशुओं को हरा चारा खूब खि‍लाना चाहिए. एक किलो हरे चारे से पशु में तीन से चार लीटर तक पानी की कमी पूरी हो जाती है. 

पशुओं में पानी की कमी के ये होते हैं लक्षण 

जब पशुओं में पानी की कमी हो जाती है तो कई तरह के लक्षण से इसे पहचाना जा सकता है. जैसे पशुओं को भूख नहीं लगती है. सुस्ती और कमजोर हो जाना. पेशाव गाढ़ा होना, वजन कम होना, आंखें सूख जाती हैं, चमड़ी सूखी और खुरदरी हो जाती है और पशुओं का दूध उत्पादन भी कम हो जाता है. और सबसे बड़ी पहचान ये है कि जब हम पशु की चमढ़ी को उंगलियों से पकड़कर ऊपर उठाते हैं तो वो थोड़ी देर से अपनी जगह पर वापस आती है. 

पशु को पानी कम पिलाने के ये होते हैं नुकसान 

पानी की कमी होने पर पशुओं को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जैसे चारा खाने और उसे पचाने की क्षमता कम हो जाती है. शरीर के जरूरी पोषक तत्वा मल-मूत्र के जरिए बाहर निकलने लगते हैं. पशुओं की दूध उत्पादन और प्रजनन क्षमता पर असर पड़ने लगता है. खून गाढ़ा होने लगता है. बछड़े और बछड़ियों को पेचिस लग जाती है. बड़े पशुओं को दस्त लग जाते हैं.

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