ICAR-CIBA ने दी मछली पालन को नई उड़ान, रंग-बिरंगी मछलियों का करें पालन, होगी मोटी कमाई

ICAR-CIBA ने दी मछली पालन को नई उड़ान, रंग-बिरंगी मछलियों का करें पालन, होगी मोटी कमाई

आईसीएआर-सीआईबीए, चेन्नई ने पहली बार टाइगर ड्वार्फ गोबी और चिज़लटूथ गोबी जैसी दुर्लभ ऑर्नामेंटल मछलियों की कैप्टिव ब्रीडिंग और बीज उत्पादन में सफलता पाई है. यह तकनीक तटीय मछुआरों को स्वरोज़गार और कम लागत में उच्च आमदनी का अवसर देती है.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 23, 2025,
  • Updated Jun 23, 2025, 1:44 PM IST

आईसीएआर - सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ ब्रैकिशवॉटर एक्वाकल्चर (CIBA), चेन्नई ने पहली बार दो दुर्लभ और रंग-बिरंगी ऑर्नामेंटल मछलियों की कैप्टिव ब्रीडिंग और बीज उत्पादन में सफलता प्राप्त की है. ये दो मछलियां हैं - टाइगर ड्वार्फ गोबी (Mugilogobius tigrinus) और चिज़लटूथ गोबी (Mangarinus waterousi). ये मछलियां अपने सुंदर रंगों और छोटे आकार के कारण प्लांटेड या नैनो एक्वेरियम के लिए अच्छी मानी जाती हैं. साथ ही देश के साथ-साथ विदेशों में भी इसकी मांग लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में अगर आप भी इन मछलियों का उत्पादन करते हैं तो इससे अच्छा लाभ मिल सकता है. 

मछलियों की खासियत

इन दोनों प्रजातियों की सबसे बड़ी खासियत है इनका यूरीहेलाइन (euryhaline) स्वभाव, यानी ये मीठे और खारे दोनों तरह के पानी में जीवित रह सकती हैं. इसके अलावा, ये कम्युनिटी फ्रेंडली होती हैं, यानी ये एक्वेरियम में अन्य मछलियों के साथ बिना झगड़े के रह सकती हैं.

  • टाइगर ड्वार्फ गोबी (M. tigrinus) का आकार छोटा लेकिन रंग बेहद आकर्षक होता है.
  • चिज़लटूथ गोबी (M. waterousi) हल्के रंगों और शांत व्यवहार वाली होती है.

प्रजनन और बीज उत्पादन

ICAR-CIBA ने नियंत्रित परिस्थितियों में इन दोनों प्रजातियों की सफल प्रजनन तकनीक (Breeding protocol) विकसित की है.

  • टाइगर ड्वार्फ गोबी एक बार में लगभग 500 से 750 अंडे देती है. इसके बीज की कीमत बाजार में ₹50 से ₹75 प्रति पीस तक होती है.
  • चिज़लटूथ गोबी अधिक उत्पादन क्षमता रखती है, एक बार में 800 से 1000 अंडे देती है. इसका बीज ₹150 से ₹200 प्रति पीस के बीच बिक सकता है.

रोजगार और कमाई के नए रास्ते

यह तकनीक खासतौर से तटीय इलाकों में रहने वाले मछुआरों और छोटे किसानों के लिए रोज़गार का नया जरिया बन सकती है. इन मछलियों की ब्रीडिंग और बिक्री से वे कम लागत में अच्छी आमदनी कर सकते हैं. ऑर्नामेंटल फिश का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और विदेशी मांग भी बढ़ रही है, जिससे निर्यात का मौका भी मिल सकता है.

ICAR-CIBA की यह उपलब्धि भारत में ब्रैकिशवॉटर ऑर्नामेंटल मछलियों की खेती को एक नई दिशा और पहचान देगी. इससे न केवल विज्ञान और अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आम लोगों के लिए रोजगार और आर्थिक आत्मनिर्भरता के नए रास्ते खुलेंगे.

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