Green Fodder for Goats खासतौर से जब दुधारू पशुओं को खूब हरा चारा खिला सकते हैं तो उस वक्त उतनी पैदावार नहीं होती है. और बरसात के दौरान जब खेत, खुले मैदान और जंगलों में भरपूर हरा चारा होता है तो पशुओं को ज्यादा खिला नहीं सकते हैं. क्योंकि एनिमल न्यूट्रीशन एक्सपर्ट के मुताबिक हरा चारा ऐसे ही सीधे पशुओं को खिला दिया तो फिर इसे खाकर फिर वो चाहें गाय-भैंस हो या भेड़-बकरी बीमार पड़ जाएंगे. क्योंकि भेड़-बकरी हो या गाय-भैंस सभी के लिए एनिमल न्यूट्रीशन एक्सपर्ट ने हरा चारा खिलाने की एक तय मात्रा बताई है. चारे की ये मात्रा पशु की उम्र, उसके वजन और उसके शारीरिक बनावट के हिसाब से तय की जाती है.
अगर आपने चारे की तय मात्रा कम कर दी या ज्यादा दे दी या फिर किन्ही वजह के चलते कई-कई दिन तक हरा चारा नहीं खिलाया तो इसका असर पशुओं पर दिखने लगता है. साथ ही खासतौर पर मॉनसून के दौरान पशुओं को सिर्फ हरा चारा खाने में नहीं दिया जाता है. हालांकि अब सभी तरह के चारे की कमी साल के 12 महीने की बन गई है.
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. अशोक कुमार की मानें तो हरे चारे में प्रोटीन, मिनरल्स और विटामिन ए होता है. सभी तरह के पशुओं समेत खासतौर पर बकरी को इसकी बहुत जरूरत होती है. हरे चारे में शामिल विटामिन ए ना सिर्फ बकरी के लिए जरूरी होता है बल्कि उसके होने वाले बच्चे के लिए भी. अगर बच्चे में इसकी कमी हो जाए तो उसके शरीर की ग्रोथ रुक जाएगी, सिर बड़ा हो जाएगा और आंखों की परेशानी भी बढ़ जाएगी. आमतौर पर देखा जाता है कि बरसात के मौसम में हरा चारा खूब होता है. गांव ही नहीं शहरों में भी हरा चारा खूब उग आता है.
लेकिन यही हरा चारा अगर भेड़-बकरियों ने ज्यादा खा लिया तो बकरी को डायरिया यानि दस्त हो जाते हैं और उसमे पोषण की कमी होने लगती है. इसके लिए जरूरी ये है कि बकरियों को जब भी हरा चारा खिलाएं तो उसमे सूखा और दानेदार चारा जरूर शामिल करें. या फिर हरे चारे को थोड़ा सुखाकर खिलाएं. हरा चारा खिलाने के दौरान एक और बात का खास ख्याल रखें कि खासतौर पर रिजका और बरसीम खाने के बाद बकरे-बकरी के पेट में गैस बनने लगती है. यह गैस जल्दी ही पास नहीं होती है. बकरे-बकरी को इससे निजात दिलाने के लिए आप उसे कोई भी खाने वाला तेल 50 एमएल दे सकते हैं. अगर इससे भी ठीक न हो तो खाने के 50 एमएल तेल में पांच एमएल तारपीन का तेल भी मिला सकते हैं.
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