हिमाचल में बड़ा ऐलान, भेड़ और बकरी पालकों की कमाई बढ़ाएगी सुक्खू सरकार

हिमाचल में बड़ा ऐलान, भेड़ और बकरी पालकों की कमाई बढ़ाएगी सुक्खू सरकार

पहाड़ी इलाका होने के कारण राज्‍य में कृषि भूमि कम है. इसलिए गद्दियों ने आसपास के हरे-भरे जंगली चरागाहों में भेड़-बकरियां पालने को अपना मुख्य व्यवसाय बना लिया है. समुदाय में पशुपालन अब भी महत्वपूर्ण है लेकिन गद्दी अब खेती के कामों में भी लगे हुए हैं. इस समुदाय के लोग मक्का, गेहूं और चावल जैसी फसलें उगाते हैं. 

हिमाचल के चंबा से कांगड़ा तक बसा है गद्दी समुदायहिमाचल के चंबा से कांगड़ा तक बसा है गद्दी समुदाय
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • May 14, 2025,
  • Updated May 14, 2025, 6:00 PM IST

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का एक फैसला राज्य में भेड़ पालकों के लिए बड़ी राहत बन सकता है. सीएम सुक्‍खू ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश सरकार गद्दी समुदाय के सामने आ रही कठिनाइयों से वाकिफ है. साथ ही उनके मसलों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्‍होंने कहा कि राज्य सरकार ऊन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने पर विचार कर रही है. अंतिम फैसला सभी के साथ बातचीत करके लिया जाएगा. 

गांव की अर्थव्‍यवस्‍था होगी मजबूत 

हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन के नए अध्यक्ष मनोज कुमार के नेतृत्व में गद्दी समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल ने सीएम सुक्‍खू से मुलाकात की. इसके बाद मुख्यमंत्री के हवाले से जारी एक बयान में कहा गया है कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि भेड़ और बकरी पालकों को उनकी मेहनत की फायदेमंद कीमत मिले. इससे गांव की अर्थव्यवस्‍था और मजबूत होगी. मुख्यमंत्री सुक्‍खू के अनुसार राज्य सरकार ने सहानुभूति का नजरिया अपनाया है. 

और बढ़ाई जाएगी आर्थिक मदद 

उनका कहना था कि साल 2023 की मानसून आपदा के दौरान विशेष राहत पैकेज की पेशकश करके प्रभावित परिवारों के लिए मुआवजे को कई गुना तक बढ़ा दिया है. सीएम सुक्‍खू ने कहा है कि आने वाले समय में पशुपालकों को मदद देने के लिए इस आर्थिक मदद को और बढ़ाया जाएगा. उनका कहना था कि इस पहल के तहत राज्य सरकार ने भेड़, बकरी और सूअर के नुकसान पर आर्थिक सहायता 4,000 रुपये से बढ़ाकर 6,000 रुपये कर दी है. 

जनजातीय समुदाय की मान्‍यता 

गद्दी समुदाय के लोग मुख्य तौर पर हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के ऊंचे दुर्गम क्षेत्रों में रहते हैं. हालांकि गद्दी खासतौर पर हिमाचल प्रदेश के भरमौर क्षेत्र में रहते हैं, जो कभी चंबा क्षेत्र की राजधानी हुआ करता था. हिमाचल में गद्दी समुदाय चंबा और कांगड़ा जिले में बसा हुआ है. ये चंबा के भरमौर क्षेत्र, धौलाधार रेंज के आसपास और धर्मशाला के पास के क्षेत्रों में केंद्रित हैं. गद्दी को भारत सरकार की तरफ से एक जनजातीय समुदाय के रूप में मान्यता दी गई है. 

खेती भी करते हैं गद्दी 

पहाड़ी इलाका होने के कारण राज्‍य में कृषि भूमि कम है. इसलिए गद्दियों ने आसपास के हरे-भरे जंगली चरागाहों में भेड़-बकरियां पालने को अपना मुख्य व्यवसाय बना लिया है. कभी गद्दी समुदाय के चरवाहे खानाबदोश समझे जाते थे लेकिन अब स्थितियां थोड़ी बदली हैं. अब इस समुदाय के लोगों के पास घर और पास जमीन है जिस पर उनका परिवार खेती करता है. समुदाय में पशुपालन अब भी महत्वपूर्ण है लेकिन गद्दी अब खेती के कामों में भी लगे हुए हैं. इस समुदाय के लोग मक्का, गेहूं और चावल जैसी फसलें उगाते हैं. 

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