Dairy Animal Careकोरोना के बाद से डेयरी फार्म के रखरखाव के तरीके बदल गए हैं. अब सवाल सिर्फ पशुओं को होने वाली बीमारी का ही नहीं है, बल्किव इंसानों को होने वाली बीमारियां भी पशुओं से जुड़ी हुई हैं. जूनोटिक ऐसी ही बीमारियां हैं. पशुओं से इंसानों को और इंसानों से पशुओं को होने वाली बीमारियों को जूनोटिक कहा जाता है. इन्हीं बीमारियों की रोकथाम के लिए नेशनल वन हैल्थ मिशन (NOHM) चलाया जा रहा है. मिशन के तहत पशुपालन मंत्रालय की ओर से पशुपालकों को जागरुक किया जा रहा है. इतना ही नहीं डेयरी फार्म के रखरखाव से जुड़े टिप्स भी दिए जाते हैं.
पशुओं और इंसानों को जूनोसिस या जूनोटिक बीमारियों से बचाने के लिए नेशनल वन हैल्थ मिशन (NOHM) चलाया जा रहा है. मिशन के तहत जहां बायो सिक्योरिटी का इस्तेमाल करने से जुड़े टिप्स पशुपालकों को दिए जाते हैं. साथ ही ये सलाह दी जाती है कि पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए साइंटीफिक तरीके से पशु पालन किया जाए.
पशुपालन मंत्रालय से जुड़े जानकारों की मानें तो वन हैल्थ मिशन के तहत एनीमल फार्म पर बॉयो सिक्योरिटी बहुत जरूरी है. कोरोना जैसी बीमारी फैलने के बाद से तो इसकी जरूरत और ज्यादा महसूस की जाने लगी है.
एनीमल एक्सपर्ट की मानें तो साइंटीफिक तरीके से किया गया पशुपालन पशुओं के साथ-साथ इंसानों को भी पशुओं की बीमारी से सुरक्षित रखता है. क्योंकि इंसानों में होने वाली करीब 70 फीसद बीमारियां पशुओं से होती हैं. इन्हें जूनोसिस या जूनोटिक भी कहा जाता है.
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