भारत लगातार दूध उत्पादन में आगे बढ़ रहा है. बीते साल 24 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ था. लेकिन इसके साथ ही ये भी जरूरी है कि दूध और उससे बने आइटम की खपत भी बढ़ाई जाए. इसके लिए घी एक सबसे बेहतर प्रोडक्ट है. घी का एक्सपोर्ट बढ़ाया जा सकता है. अब तो घी पर जीएसटी भी कम हो चुकी है. 12 फीसद की जगह अब सिर्फ पांच फीसद ही जीएसटी लगेगी. संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) भारतीय घी का सबसे बड़ा खरीदार है. ब्रिटेन भी जल्द ही भारतीय घी खरीदारों की लिस्ट में शामिल हो सकता है.
डेयरी एक्सपर्ट का कहना है कि आज विश्व के करीब 136 देश ऐसे हैं जहा भारत का बना घी-मक्खन खाया जाता है. इटली पहचान ऑलिव आयल से और स्विट्जरलैंड की पहचान चॉकलेट से बन चुकी है. जब किसी देश की पहचान चॉकलेट से बन सकती है तो भारत की पहचान घी से क्यों नहीं बन सकती है.
एक्सपोर्ट के आंकड़ों पर जाएं तो विश्व भर के देशों में भारत 15 सौ करोड़ रुपये के घी का कारोबार करता है. कई बड़े देश भारतीय घी के शौकीन हैं. संयुक्त अरब अमीरात ने भारत से साल 2023-24 में तीन करोड़ डॉलर का घी खरीदा था. और भी कई ऐसे देश हैं जो 60 लाख डॉलर से ज्यादा का सालाना घी खरीदते हैं. ब्रिटेन और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है. ब्रिटेन ने अपने सेनेटरी और फाइटोसैनिटरी (एसपीएस) नियम के तहत भारतीय डेयरी प्रोडक्ट पर रोक लगा रखी है. इसी प्रतिबंध को हटवाने के लिए भारतीय अधिकारी बात कर रहे हैं.
इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट और अमूल के पूर्व एमडी डॉ. आरएस सोढ़ी ने किसान तक को बताया कि देश में घी का कारोबार करीब 50 हजार करोड़ रुपये का है. ये आंकड़ा भी इस कारोबार में शामिल सिर्फ बड़े ब्रांड का है. लोकल लेवल पर और छोटे प्लेयर का काम भी कम छोटा नहीं है. 50 हजार करोड़ में से 1500 करोड़ रुपये का घी एक्सपोर्ट हो जाता है. लेकिन अगर हम घी के मामले में बाजार की कुछ नई स्ट्रेटेजी बनाने में कामयाब हो जाएं तो ये कारोबार दोगुना भी हो सकता है.
डॉ. सोढ़ी ने एक बड़े खतरे की तरफ इशारा करते हुए कहा कि आज हमे ग्राहकों को ऐसे आइटम से जागरुक करने की जरूरत है जिनके बारे में दावा किया जाता है कि वो प्लांट बेस्ड हैं. असल में चार-पांच फीसद ही ये प्लांट बेस्ड होते हैं, बाकी तो कैमिकल से तैयार किए जाते हैं. अगर प्लांट बेस्ड आइटम की असलियत के बारे में हम ग्राहकों को समझाने में कामयाब हो गए तो घरेलू बाजार में भी डेयरी प्रोडक्ट की खपत बढ़ जाएगी.
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