बकरी पालने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसके पीछे बड़ी वजह भी है. देश ही नहीं दुनियाभर में बकरी के दूध और बकरों के मीट की डिमांड बढ़ रही है. बेशक बकरी के दूध की डिमांड अभी गाय-भैंस के दूध की तरह से नहीं है, लेकिन डिमांड के चलते ही लगातार उत्पादन बढ़ रहा है. यही वजह है कि कारोबार रूप से बकरे-बकरी पालने वालों की संख्या बढ़ रही है. इस बात का सुबूत पशुपालन लोन के लिए आने वाले आवेदन भी हैं. 20 हजार में से 14 हजार आवेदन बकरी पालन के लिए थे.
जिनके पास जगह कम है वो स्टॉल फीड (खूंटे से बांधकर) बकरी पालन कर रहे हैं. लेकिन स्टॉल फीड पर बकरी पालन करने वालों के लिए गोट एक्सपर्ट की सलाह है कि वो बकरियों की सेहत का ख्याल जरूर रखें. जहां तक हो सके तो हरे चारे में कुछ खास पेड़ों की पत्तियों को जरूर शामिल करें.
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गोट एक्सपर्ट और सीनियर साइंटिस्ट नीतिका शर्मा का कहना है कि अमरुद, नीम और मोरिंगा में टेनिन कांटेंट और प्रोटीन की मात्रा बहुत होती है. अगर वक्त पर हम तीनों पेड़-पौधे की पत्तियां बकरियों को खिलाते हैं तो उनके पेट में कीड़े नहीं होंगे. पेट में कीड़े होने से बकरे और बकरियां परेशान हो जाते हैं. व्यवहार और खानपान बदल जाता है. पेट में कीड़े होने से उनकी ग्रोथ रुक जाती है. पशुपालक जितना भी बकरे और बकरियों को खिलाएंगे उसका फायदा बकरियों को नहीं मिलेगा.
नीतिका शर्मा का कहना है कि नीम गिलोय की पत्तिीयां बकरी के बच्चों में रामबाण की तरह से काम करती हैं. इसे खिलाने से बच्चों में बीमारी से लड़ने की क्षमता बढ़ती है. अक्सर खुले मैदान में या जंगल में नीम के पेड़ पर इसकी बेल दिख जाती है. शायद इसीलिए इसे नीम गिलोय भी कहा जाता है. स्वाद में यह कड़वा होता है. इसे खाने से बच्चे जल्द ही बीमार भी नहीं पड़ेंगे. जिसके चलते बकरियों के बच्चों की मृत्यु दर को कम किया जा सकता है. यह हम सभी जानते हैं कि बकरी पालन में सबसे ज्यादा नुकसान बकरी के बच्चों की मृत्यु दर से ही होता है.
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