बकरी कब हीट में आएगी, बकरी से वक्त पर बच्चा कैसे मिले, बकरी हीट पर आए तो उसे गाभिन कैसे कराए, ये वो सवाल हैं जो हर छोटे-बड़े बकरी पालक के दिमाग में होते हैं. क्योंकि बकरी पालन में सबसे बड़ा मुनाफा बकरी के बच्चे हैं. एक बकरी से सालभर में जितने बच्चे मिलेंगे वो ही असल मुनाफा होगा. लेकिन बकरी पालन की एक सच्चाई ये भी है कि बाड़े में बकरी के बच्चों की मृत्यु दर को कम कर पाना या फिर रोक पाना मुश्किल काम है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो अक्सर बकरी के बच्चे मौसमी बीमारियों की चपेट में आकर मर जाते हैं.
सबसे बड़ी चुनौती बच्चों को सर्दियों में निमोनिया और गर्मी-बरसात में दस्त से बचाने की होती है. यही वजह है कि गोट एक्सपर्ट बकरी को गाभिन कराने और उससे बच्चा लेने का एक तय वक्त बताते हैं. ये वो वक्त होता है जब बकरी बच्चे देती है तो मौसम सामान्य होता है. मौसम के चलते बच्चों को बीमारियों का सामना नहीं करना पड़ता है.
गोट एक्सपर्ट और साइंटिस्ट डॉ गोपाल दास का कहना है कि 10 अप्रैल से लेकर और 15 जून तक ये वो वक्त है जब बकरियां प्राकृतिक रूप से हीट में आती हैं. ऐसे में पशुपालक अपनी बकरियों को सुबह-शाम चेक करते रहें. क्योंकि अप्रैल से लेकर जून तक जिन बकरियों को गाभिन कराया जाएगा उससे सितम्बर से बच्चा मिलना शुरू हो जाएगा. इससे होगा ये कि सितम्बर-अक्टूबर में बच्चा मिलने से एक तो बच्चा बारिश में होने वाली बीमारियों से बच जाएगा. वहीं सितम्बर-अक्टूबर में बच्चा होने से दिसम्बर-जनवरी की कड़ाके की सर्दी तक बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाता है. जिससे सर्दी में होने वालीं मौसमी बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है.
इसी तरह से अगर बकरी को अक्टूबर से नवंबर के बीच गाभिन कराएंगे तो वो मार्च-अप्रैल में बच्चा दे देगी. मार्च-अप्रैल में बच्चा मिलने से वो सर्दी से बच जाएगा. साथ ही मई-जून की गर्मियों और आने वाले बारिश के महीने तक बीमारियों से लड़ने लायक तैयार हो जाएगा. गोट एक्सपर्ट का कहना है कि बकरियों को गाभिन कराए जाने वाले कैलेंडर का पालन करने से बकरियों के शेड में बच्चों की मृत्यु दर को जीरो किया जा सकता है.
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