Goat Lamb: बाड़े में बड़ी बकरियों संग बच्चे भी हैं तो ऐसे करें देखभाल, नहीं तो हो सकता है निमोनिया

Goat Lamb: बाड़े में बड़ी बकरियों संग बच्चे भी हैं तो ऐसे करें देखभाल, नहीं तो हो सकता है निमोनिया

गोट साइंटिस्ट का कहना है कि जब बकरियों के बच्चों में निमोनिया होता है तो उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है. बुखार आने लगता है. इतना ही नहीं उनकी नाक भी बहने लगती है. किसान इन लक्षणों को अच्छी तरह से पहचानते हैं. इसलिए लक्षण दिखाई देने पर इलाज में देरी न करें. 

नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Apr 07, 2025,
  • Updated Apr 07, 2025, 4:09 PM IST

मौसम कोई भी हो, लेकिन बड़ी बकरियों के मुकाबले उनके छोटे बच्चों की देखभाल करना बड़ा मुश्किंल होता है. क्योंकि कई तरह की ऐसी बीमारियां हैं जो बकरी के बच्चों को जल्दी चपेट में ले लेती हैं. हालांकि ये माना जाता है कि निमोनिया बीमारी ज्यादातर सर्दियों के मौसम में होती है. और खास बात ये भी है कि निमोनिया इंसानों को हो या पशुओं को सभी में निमोनिया की वजह सर्दी को ही माना जाता है. लेकिन ये सुनकर आपको शायद यकीन न हो कि निमोनिया बीमारी गर्मियों में भी हो जाती है.

केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के साइंटिस्ट की मानें तो गर्मी जैसे मौसम में भी बकरी के बच्चों को निमोनिया हो जाता है. कई बार इसी निमोनिया के चलते बकरी के बच्चों की मौत तक हो जाती है. इसलिए जरूरी है कि गर्मी का मौसम शुरू होते ही बकरी पालक खासतौर पर बच्चों की देखभाल के साथ ही उनकी रहने की जगह में बदलाव जरूर कर लें. 

बकरी के बच्चों को ऐसे होता है निमोनिया 

साइंटिस्ट का कहना है कि जब गर्मियां शुरू होती हैं तो तापमान अचानक तेजी के साथ बढ़ने लगता है. ऐसे मौसम में खासतौर पर बकरी के बच्चे अपने को उस मौसम में नहीं ढाल पाते हैं. जिसके चलते वो निमोनिया की चपेट में आ जाते हैं. निमोनिया शुरू होते ही उन्हें बुखार आने लगता है, नाक बहती है और सांस लेने में परेशानी होती है. जैसे ही यह लक्षण दिखाई दें तो फौरन ही डॉक्टर के पास ले जाएं. जब तक डॉक्टर दवाई खिलाने की कहे तो बकरी के बच्चे को लगातार बिना गैप के उसे दवाई खिलाएं. 

बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए अपनाएं ये बचाव 

निमोनिया से बचाव के लिए गोट साइंटिस्ट का कहना है कि गर्मी शुरू होते ही सबसे पहले तो बकरी पालक को बकरियों के आवास में बदलाव करना चाहिए. बकरियों के शेड को इस तरह से ढक दें कि उसमे गर्म हवाएं आसानी से न आएं. दूसरा यह कि दोपहर एक बजे से चार बजे तक बकरियों और उनके बच्चों को चराने न ले जाएं. सुबह और शाम में ही बकरियों को चराने ले जाएं. पानी खूब पिलाएं. ध्यान रहे कि मौसम के चलते पानी गर्म न हो. क्योंकि गर्मी के मौसम में बकरियों के चरने के वक्त में कमी आ जाती है तो उन्हें शेड में ही भरपूर चारा दें. कोशिश करें कि इस दौरान बकरियों और उनके बच्चों को पूरा न्यूट्रिशन दें. इसके लिए चाहें तो पैलेट्स फीड भी खिला सकते हैं.  

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