पशु चारे की महंगाई 9 साल के रिकॉर्ड स्तर पर, मुश्क‍िल में डेयरी किसान

पशु चारे की महंगाई 9 साल के रिकॉर्ड स्तर पर, मुश्क‍िल में डेयरी किसान

वाणिज्य मंत्रालय ने बुधवार को थोक महंगाई का आंकड़ा जारी किया. इसमें चारे का इंडेक्स वैल्यू नवंबर में 225.7 रिकॉर्ड किया गया है जबकि ठीक एक साल पहले इसी अवधि में चारे का इंडेक्स वैल्यू 176.8 दर्ज किया गया था. इस तरह साल भर में चारे की महंगाई में लगभग 28 परसेंट का उछाल है.

पशु चारे के दाम में बड़ी बढ़ोतरी देखी जा रही है (फोटो-Unsplash)पशु चारे के दाम में बड़ी बढ़ोतरी देखी जा रही है (फोटो-Unsplash)
क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Dec 16, 2022,
  • Updated Dec 16, 2022, 1:22 PM IST

आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर साल भर में दूध के दाम इतने क्यों बढ़ गए. तो इसका एक जवाब चारे की महंगाई में छिपा है. इस साल चारे के दाम बड़ी तेजी से उछले हैं जिसका असर दूध और उससे जुड़े प्रोडक्ट पर दिखा है. एक रिपोर्ट बताती है कि नवंबर महीने में चारे की महंगाई 27.66 फीसद तक बढ़ी है. खास बात ये है कि इस महंगाई में जल्द कोई राहत मिलती नहीं दिख रही. इसलिए जो लोग पशुपालन कर दूध का बिजनेस करते हैं या डेयरी फार्मिंग करते हैं, उनके लिए बुरी खबर है. एक साल का हिसाब देखें तो चारे या दाने की महंगाई में नवंबर में 27.66 परसेंट की बढ़ोतरी है.

वाणिज्य मंत्रालय ने बुधवार को थोक महंगाई का आंकड़ा जारी किया. इसमें चारे का इंडेक्स वैल्यू नवंबर में 225.7 रिकॉर्ड किया गया है जबकि ठीक एक साल पहले इसी अवधि में चारे का इंडेक्स वैल्यू 176.8 दर्ज किया गया था. इस तरह साल भर में चारे की महंगाई में लगभग 28 परसेंट का उछाल है. 

महंगाई केवल चारे की नहीं है. पशुओं के दाना और पोल्ट्री आदि के फीड भी महंगे हुए हैं. यही वजह है कि चिकन और अंडे के दाम में बढ़ोतरी देखी जा रही है. थोक महंगाई दर में पता चला है कि पशुओं के लिए तैयार दाने या फीड के दाम में 7.76 परसेंट की तेजी देखी गई है. यह आंकड़ा इस साल नवंबर महीने का है. इस साल अक्टूबर महीने में यह तेजी 3.38 परसेंट थी. पिछले साल इसी महीने में फीड की महंगाई दर 14.86 परसेंट दर्ज की गई थी.

चारे और दाना-पानी की महंगाई का दबाव पशुपालकों और डेयरी फार्म चलाने वाले लोगों पर देखा जा रहा है. केरल से एक खबर आई थी जिसमें कहा गया कि चारे और पशुओं को दिए जाने वाले दाने की महंगाई से किसान परेशान हैं और वे डेयरी फार्मिंग का काम छोड़ रहे हैं. उनकी लागत इतनी अधिक आ रही है कि डेयरी का काम उनके लिए फायदे का सौदा नहीं रहा. केरल में दुधारू गायों की कई उन्नत नस्ल होने के बावजूद किसान दूध के बिजनेस से मुंह मोड़ रहे हैं.

दाने की महंगाई की बात करें तो गोला और उससे मिलते जुलते फीड, चावल की भूसी, कपास की खली के दाम बढ़े हैं. हालांकि सोया खली और सरसों खली के दाम पहले से घटे हैं. इसमें सबसे अधिक महंगाई (36.28 परसेंट) चावल की भूसी में देखी गई है. इसके बाद गोला और कपास की खली के दाम बढ़े हैं. नवंबर में दाने की महंगाई ने साल 2013 का रिकॉर्ड तोड़ दिया है जब महंगाई दर 29.70 परसेंट दर्ज की गई थी. 

अगर ओवरऑल थोक महंगाई दर देखें तो इसमें गिरावट दर्ज की गई है. लेकिन चारे और दाने की महंगाई के मामले में स्थिति उलट है. एक तरफ खाद्य वस्तुओं के थोक दाम में कमी है, तो दूसरी ओर पशुओं के दाने के दाम में तेजी देखी गई है. इस बार थोक महंगाई दर 21 महीने के सबसे निचले स्तर पर है जबकि पशुओं के चारे-दाने की महंगाई 2021 दिसंबर से लगातार बढ़ रही है. पिछले 10 महीने से चारे की महंगाई 20 परसेंट के आसपास बनी हुई है.

इस साल अक्टूबर में 'इंडियन एक्सप्रेस' ने एक रिपोर्ट में बताया था कि पशुओं के दाने की महंगाई 9 साल के उच्च स्तर पर चल रही है. रिपोर्ट में अगस्त में 25.54 परसेंट महंगाई का हवाला देते हुए जानकारी दी गई थी. इससे ग्रामीण इलाकों में पशुपालकों की परेशानी बढ़ गई है क्योंकि वे दूध बेचकर ही अपना गुजर-बसर करते हैं. 

13 दिसंबर को पशुओं के दाने की महंगाई का मुद्दा संसद में भी उठा जिस पर पशुपालन मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने बताया कि देश में अभी चारे की कमी है जिसका असर महंगाई के रूप में देखा जा रहा है.

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