मछली जल की रानी है, जीवन उसका पानी है. बाहर निकालो तो मर जाएगी, पानी में डालो जी जाएगी. बचपन से तो हम लोग यही सुनते हैं आ रहे हैं कि पानी में ही मछली का जीवन है. बिना पानी के वो मर जाएगी. लेकिन फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो ठंडे पानी से मछलियां बीमार भी होती हैं. खासतौर से जनवरी में पड़ने वाली ठंड से मछलियां ना सिर्फ बीमार होती हैं बल्कि उनकी मौत तक हो जाती है. यही वजह है कि ठंड के मौसम में मछली पालकों को सलाह दी जाती है कि वो समय-समय पर मछलियों के तालाब का पानी गर्म या सामान्य करते रहें.
मछलियों को ठंड लग रही है इसकी जानकारी भी मछलियां तालाब में रहकर खुद ही देती हैं. एक्सपर्ट बताते हैं कि ठंड लगने के दौरान मछलियां पानी में अपनी जगह बदल लेती हैं. पानी की सतह और बीच में रहने वाली मछलियां नीचे तली में चली जाती हैं. मछली पालक ठंड दूर करने के लगातार उपाय करते हैं. खासतौर पर सुबह के वक्त मछलियों को गर्म (जमीन से निकले ताजा पानी) से नहलाया जाता है.
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फिशरीज एक्सपर्ट सतीश वर्मा का कहना है कि तालाब का पानी रुका हुआ होता है. जिसके चलते सर्दी के मौसम में यह जल्दी ठंडा हो जाता है. वहीं ज्यादातर तालाब खुले में होते हैं तो पानी और जल्दी ठंडा हो जाता है. ठंडे पानी से मछलियां परेशान हो जाती हैं. ऐसे में सुबह-शाम मछलियों को पम्प की मदद से अंडर ग्राउंड वाटर से नहलाया जाता है. जमीन से निकला पानी गुनगुना होता है. इसलिए तालाब के ठंडे पानी में मिलकर यह पूरे पानी को सामान्य कर देता है.
सर्दी के मौसम में जब ऐसा लगता है कि तालाब का पानी कुछ ज्यादा ठंडा हो रहा है तो उसमे जमीन से निकला पानी मिला दिया जाता है. लेकिन बड़े तालाब में जमीन से निकला पानी मिलाना आसान नहीं होता है. इसलिए बड़े तालाबों में जाल डालकर उस पानी में उथल-पुथल कर काफी हद तक सामान्य कर दिया जाता है. तालाब में भैंसों को भी छोड़ दिया जाता है.
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