दूध का दाम बढ़ाने को लेकर महाराष्ट्र के अहमदनगर में डेयरी किसानों ने शुक्रवार को जमकर आंदोलन किया. अहमदनगर-मनमाड रोड रोक कर आक्रोशित किसान राहुरी में धरने पर बैठ गए. इससे कई किलोमीटर लंबा जाम लग गया. राज्य सरकार और डेयरी कंपनियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. दूध का दाम 34 से 40 रुपये प्रति लीटर तक करने की मांग दोहराई. किसानों ने स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता को राहुरी बाजार में चौक पर बैठाकर दूध से नहला दिया. सांकेतिक रूप से दूध सड़क पर बहाकर सरकार के सामने अपना आक्रोश प्रदर्शित किया. न सिर्फ दूध का दाम बढ़ाने बल्कि पशुओं का बीमा मुफ्त में करवाने की मांग भी उठाई गई. डिमांड न मानने पर मुंबई में दूध की सप्लाई रोक देने की चेतावनी दी गई है.
किसानों ने कहा कि महाराष्ट्र में न सिर्फ दूध का दाम बहुत कम मिल रहा है बल्कि चारा का भाव बहुत तेजी बढ़ रहा है. इसलिए पशुपालन करने वाले किसानों की परेशानी बढ़ गई है. वो लोग यूं ही सड़क पर उतरने के लिए मजबूर नहीं हो रहे है. महाराष्ट्र सरकार तेलंगाना, कर्नाटक और राजस्थान के मॉडल को अपनाए. इन तीनों राज्यों में जो किसान सहकारी दुग्ध संस्थाओं को दूध बेचते हैं उन्हें 5 रुपये लीटर राज्य की ओर से दिया जाता है. इसलिए इन राज्यों में किसानों को बहुत अच्छा दाम मिल रहा है. जबकि महाराष्ट्र के दूध उत्पादक किसान लगातार घाटे में जा रहे हैं.
किसानों का कहना हैं कि हम पूरे महाराष्ट्र में ऐसे ही लगातार आंदोलन करते रहेंगे जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी. स्वाभिमानी शेतकरी संगठ के नेता का कहना हैं अगर सरकार 10 दिन के अंदर हमारी डिमांड नहीं मानी तो एक दिन के लिए मुंबई दूध सप्लाइ बंद कर देंगे. किसानों सरकार से मांग कर रहे हैं उन्हें कम से कम दूध का 40 रुपये मिलना चाहिए और साकार दूध के बनी बटर को भी आयात न करें इसे किसानों को भारी नुकसान होता हैं.
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राज्य के डेयरी विकास मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल ने पिछले दिनों डेयरी कंपनियों की बैठक लेकर कहा था कि वो किसानों को कम से कम 34-35 रुपये प्रति लीटर का भाव दें. किसानों का आरोप है कि अभी इसका पालन नहीं हो रहा है. अहमदनगर के किसान नंदू रोकड़े कहते हैं कि अगर पशुपालकों की मेहनत जोड़ी जाए तो दूध की उत्पादन लागत 38 रुपये प्रति लीटर आती है. इसलिए इतना दाम तो मिलना ही चाहिए. किसान अपनी मेहनत को नहीं जोड़ता ऐसे में हम 34 रुपये न्यूनतम मूल्य पर भी राजी थे, लेकिन डेयरी वाले इतना रेट भी देने को तैयार नहीं हैं.
रोकड़े का कहना है कि मंत्री ने दाम बढ़ाने के मौखिक आदेश दिए थे. कोई कानून नहीं बनाया था. ऐसे में कोई इसका पालन कैसे करेगा. वो भी तब जब महाराष्ट्र का डेयरी कारोबार बड़े नेताओं के हाथ में है.