Poultry: ...तो सस्ते नहीं होंगे बाजार में अंडे-चिकन, ये है बड़ी वजह

Poultry: ...तो सस्ते नहीं होंगे बाजार में अंडे-चिकन, ये है बड़ी वजह

मक्का की वजह से पोल्ट्री फीड और अं‍डे-चिकन का बाजार बिगड़ा हुआ है. अंडे-चिकन की लागत बढ़ गई है. हालांकि फीड महंगा होने के चलते बढ़ी हुई लागत का बहुत ज्यादा असर अभी अंडे-चिकन पर नहीं दिखाई दे रहा है. लेकिन आने वाले वक्त में पोल्ट्री फीड में शामिल मक्का के महंगा होने का असर जरूर दिखाई दे सकता है. 

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नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Jul 24, 2024,
  • Updated Jul 24, 2024, 2:42 PM IST

पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो बाजार में अभी अंडे-चिकन दोनों में से किसी का भी सीजन नहीं है. अंडे का सीजन आने में अभी कम से कम दो से ढाई महीने हैं. वहीं अगर चिकन की बात करें तो सावन के चलते बिक्री कम हो जाती है. दुकानदार भी आराम के मोड में आ जाते हैं. लेकिन परेशान करने वाली बात ये है कि सीजन और डिमांड ना होने पर भी अंडे-चिकन के दाम कम नहीं हो रहे हैं. जून से जुलाई आ गया लेकिन अंडा अभी भी छह से सात रुपये का बिक रहा है. चिकन के दाम भी 200 से 240 रुपये प्रति किलो हैं. 

इसी के चलते आशंका जताई जा रही है कि सर्दियों में भी अंडे-चिकन के दाम और बढ़ सकते हैं. क्योंकि जिस दाम पर अभी अंडा बिक रहा है वो सर्दियों के दाम हुआ करते थे. इसीलिए पोल्ट्री एक्सपर्ट इस बात को दोहरा रहे हैं कि अब अंडे-चिकन सस्ते होने का कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है. इसके पीछे जो बड़ी वजह बताई जा रही है वो फीड है. पोल्ट्री फार्मर केन्द्र सरकार से बजट में पोल्ट्री को राहत दिए जाने की गुहार लगा रहे थे, लेकिन ऐसा हुआ कुछ नहीं. 

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जीएम मक्का इंपोर्ट की मांगी थी अनुमति

पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के कोषाध्यक्ष रिकी थापर ने किसान तक को बताया कि हमारी मांग थी कि पोल्ट्री सेक्टर को राहत देने के लिए केन्द्र सरकार बजट में कुछ ऐसा प्रावधान करे जिससे जीएम मक्का पर आयात शुल्क कम हो और आयात करने की अनुमति दी जाए. ऐसा होने से देश में पोल्ट्री फीड पर बढ़े हुए दाम कम करने में मदद मिलेगी. लेकिन सरकार ने हमारी मांग पर कोई ध्यान नहीं दिया है. इसके साथ ही हमारी एक मांग ये भी थी कि सरकार देश में भी किसानों को जीएम मक्का और सोयाबीन का उत्पादन करने की अनुम‍ति दे. हालांकि ये एक लम्बी प्रक्रिाया है, लेकिन लम्बी ही सही आगे चलकर पोल्ट्री फार्मर को इसका फायदा तो मिलेगा ही. इस मांग को भी बजट में कोई जगह नहीं दी गई है. 

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जब प्रोडक्ट नहीं होगा प्रोसेसिंग यूनिट क्या करेगी 

पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो केन्द्र सरकार ने बजट में एनिमल हसबेंडरी को इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट फंड जो करीब 20 हजार करोड़ का है उसे एक और साल के लिए बढ़ा दिया है. इस फंड का इस्तेमाल डेयरी, फिशरीज और पोल्ट्री में इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए इस्तेमाल किया जाता है. प्रोससिंग यूनिट और फीड यूनिट लगाने के लिए दिया जाता है. लेकिन एक्सपर्ट का कहना है कि मक्का की डिमांड के चलते पोल्ट्री फीड महंगा हो रहा है. पोल्ट्री में अंडे-चिकन की लागत बढ़ रही है. ऐसे छोटे पोल्ट्री फार्मर अपने फार्म पर ताला लगा रहे हैं. क्योंकि अंडे-चिकन की जितनी लागत आ रही है उतना बाजार में दाम नहीं मिल पा रहा है. अब ऐसे वक्त प्रोसेसिंग यूनिट के लिए प्रोडक्ट कहां से आएगा.   

 

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