ओमान और श्रीलंका जैसे देशों से अंडे और अंडा पाउडर जैसे उत्पादों की मांग के कारण 2023-24 वित्तीय वर्ष के दौरान भारत का पोल्ट्री निर्यात रिकॉर्ड $184.58 मिलियन यानी करीब 1,530 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. जबकि, 2022-23 के दौरान, भारत का पोल्ट्री निर्यात $134.04 मिलियन (1,081 करोड़ रुपये) था. ऑल इंडिया पोल्ट्री एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के सचिव वलसन परमेश्वरन ने कहा कि यूक्रेन संकट और तुर्की में आए भूकंप ने पश्चिम एशिया में उत्पादन और शिपमेंट को प्रभावित किया, जिससे भारत को इस साल अधिक पोल्ट्री उत्पादों का निर्यात करने में मदद मिली.
हालांकि, उन देशों में उत्पादन सामान्य होने के साथ, भारतीय उत्पादों को विदेशी बाजारों में प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि कीमतें बढ़ गई हैं. परमेश्वरन ने कहा कि ऐसे में सरकार को विकास और बाजार को बनाए रखने में मदद के लिए उपज-निर्यातकों को कुछ प्रोत्साहन देना चाहिए. परमेश्वरन ने कहा कि इसके अलावा, पोल्ट्री निर्यातक रूस, इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे नए बाजारों तक पहुंचने के लिए सरकारी समर्थन की उम्मीद कर रहे हैं.
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पश्चिम एशिया भारतीय पोल्ट्री उत्पादों का प्रमुख बाजार है, जिसमें ओमान सबसे बड़ा खरीदार है और भारतीय निर्यात का लगभग एक तिहाई हिस्सा ओमान के पास है. संयुक्त अरब अमीरात और कतर पश्चिम एशिया में अन्य प्रमुख गंतव्य हैं. साल 2023-24 के दौरान मालदीव के बाद श्रीलंका भारतीय पोल्ट्री उत्पादों का दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बनकर उभरा है.
परमेश्वरन ने कहा कि नमक्कल के प्रमुख उत्पादन केंद्र में गुणवत्ता नियंत्रण के लिए एक समर्पित प्रयोगशाला स्थापित करने से उत्पादकों और निर्यातकों के लिए लागत कम करने में मदद मिल सकती है. उन्होंने कहा, फिलहाल निर्माता बेंगलुरु की लैब पर निर्भर हैं. भारतीय पोल्ट्री निर्यात, जो 2015-16 में 768 करोड़ रुपये ($117.42 मिलियन) था, बाद में 2020-21 के दौरान छह साल के निचले स्तर 435 करोड़ रुपये ($58.70 मिलियन) को छू गया था, लेकिन पिछले तीन वर्षों में इसमें फिर से उछाल आया है.
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