Animal Disease FMD: पशुपालन में जरूर करें ये काम, पशुओं को नहीं होगी खुरपका-मुंहपका बीमारी, पढ़ें डिटेल 

Animal Disease FMD: पशुपालन में जरूर करें ये काम, पशुओं को नहीं होगी खुरपका-मुंहपका बीमारी, पढ़ें डिटेल 

Animal Disease FMD एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि एफएमडी बीमारी पशुओं के बीच बरसात के मौसम में ज्यादा देखने में आती है. सबसे बड़ी बात ये है कि एफएमडी बीमारी मीट, डेयरी प्रोडक्ट‍ और मिल्क एक्सपोर्ट की बड़ी रुकावट है. जब तक भारत को एफएमडी फ्री जोन का सर्टिफिकेट नहीं मिलता तो तीनों चीजों का एक्सपोर्ट भी नहीं बढ़ेगा. 

Alia Bhatt CowAlia Bhatt Cow
नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Dec 13, 2025,
  • Updated Dec 13, 2025, 9:58 AM IST

Animal Disease FMD खुर वाले पशुओं के लिए खुरपका-मुंहपका (एफएमडी) जानलेवा बीमारी है. ऐसे पशु जिनके खुर है और खुर के बीच में गैप (जगह) होती है तो उन्हें ये बीमारी होने की ज्यादा आशंका रहती है. अगर इस बीमारी की रोकथाम के उपाय और इलाज नहीं किया जाए तो ये पशुओं की जान भी ले लेती है. एफएमडी से कोई एक-दो देश नहीं पूरा ही विश्व परेशान है. लेकिन इस पर धीरे-धीरे काबू पाया जा रहा है. बहुत सारे देश तो एफएमडी फ्री घोषित हो चुके हैं. जल्द ही भारत भी ऐसे देशों की कतार में शामिल हो जाएगा. 

एनिमल एक्स्पर्ट की मानें तो एफएमडी बीमारी पशुओं को कई तरह से प्रभावित करती है. दूध उत्पादन कम होने के साथ ही पशुओं की ग्रोथ रुक जाती है. बांझपन की बीमारी आ जाती है. बैलों में काम करने की क्षमता कम हो जाती है. वहीं एफएमडी वैक्सीनेशन अभियान से सरकार पर भी करोड़ों रुपये का बोझ पड़ता है.

ऐसे करें एफएमडी की रोकथाम 

एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि पशुओं में एफएमडी की रोकथाम करना बहुत आसान है. इसमे कोई पैसा भी खर्च नहीं होता है. सबसे पहले तो अपने पशु का रजिस्ट्रेशन कराएं. उसके कान में ईयर टैग डलवाएं. किसी भी पशु स्वास्थ्य केन्द्र पर साल में दो बार फ्री लगने वाले एफएमडी के टीके लगवाएं. टीका लगवाने के बाद इस बात का खास ख्याल रखें कि टीका लगने पर 10 से 15 दिन में पशु में प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है. इसलिए तब तक पशु का खास ख्याल रखें. बरसात के दौरान पशु के बैठने और खड़े होने की जगह को साफ और सूखा रखें. 

पशु पीडि़त हो तो ऐसे करें उपचार 

एनीमल एक्सपर्ट बताते हैं कि एफएमडी का कोई इलाज तो नहीं है, लेकिन कुछ जरूरी उपाय जरूर अपनाए जा सकते हैं. जैसे पीड़ित पशु को बाकी सभी पशुओं से अलग रखें. मुंह के घावों को पोटेशियम परमैंगनेट सॉल्यूशन से धोएं. इसके अलावा बोरिक एसिड और ग्लिसरीन का पेस्ट बनाकर उससे पशु के मुंह की सफाई करें. खुर के घावों को पोटेशियम सॉल्यूगशन या बेकिंग सोडा से धोएं. कोई एंटीसेप्टिक क्रीम लगाएं.  

ऐसे फैलती है एफएमडी बीमारी     

एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि दूषित चारा और दूषित पानी पीने से पशुओं में एफएमडी रोग जल्दी फैलता है. बरसात के दौरान खासतौर पर पशु खुले में चरने के दौरान दूषित चारा-पानी खा और पी लेते हैं. खुले में पड़ी कुछ सड़ी-गली चीजें खाने से भी होता है. फार्म पर नए आने वाले पशु से भी ये बीमारी लग जाती है. पहले से ही एफएमडी से पीड़ित पशु के साथ रहने से भी हो जाती है. 

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