ऊंट की घटती जनसंख्या को लेकर सरकार ने सदन में आंकड़ा पेश किया है. जिसके अनुसार देश में पिछले 7 सालों में ऊंट की जनसंख्या में 1 लाख 48 हजार की कमी दर्ज की गयी है. यह आंकड़ा काफी बड़ा है जिसके बाद राजस्थान के मूल निवासियों ने भी इसपर अपनी चिंता जताई है. आपको बता दें ऊंट का इस्तेमाल कई अलग-अलग क्षेत्रों में किया जाता है. ऐसे में इसकी जनसंख्या में आई गिरावट एक बुरी खबर है.
ऊंट का इस्तेमाल ना केवल कृषि और सिंचाई व्यवस्था में किया जाता है बल्कि कच्चा माल ढोने से लेकर देश की सुरक्षा तक में ऊंट का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है. ऐसे में ऊंट की घटती जनसंख्या चिंता का कारण है. आखिर क्यों इनकी जनसंख्या में आई कमी और क्या है इसका मुख्य कारण आज हम इसपर चर्चा करेंगे. तो आइये जानते हैं क्या है पूरा मामला...
पशुधन संगणना रिपोर्ट के अनुसार, देश में ऊंट की संख्या में पिछले दो संगणनाओं की तुलना में कुल रूप से गिरावट देखी गई है. 2012 में की गई 19वीं पशुधन संगणना के अनुसार भारत में इनकी तादाद 4 लाख के करीब थी जो घटकर 2019 में सिर्फ 2.5 लाख रह गई है. जिसके साथ राजस्थान में इनकी संख्या 3.26 लाख से घटकर 2.13 लाख रह गयी.
देश में ऊंटों की 9 से अधिक प्रमुख प्रजातियां पाई जाती हैं. राजस्थान के बीकानेरी, मारवाड़ी, जालोरी, जैसलमेर और मेवाड़ी प्रमुख नस्लें हैं. गुजरात की कच्छी और खराई, मध्य प्रदेश की मालवी और हरियाणा की मेवाती मौजूद हैं, लेकिन व्यावसायिक तौर पर पालन के लिए बीकानेरी और जैसलमेरी नस्ल को अधिक उपयुक्त माना गया है क्योंकि इनमें शुष्क वातावरण में रहने की जबरदस्त क्षमता होती है.