Goat Feed बकरीद पर कुर्बानी के लिए बकरों की खरीद-फरोख्त चल रही है. जामा मस्जिमद, दिल्ली के सामने लगने वाले बकरा बाजार में पूरी रात खरीदारी चलती है. हर कोई अपने बजट के हिसाब से बकरे खरीद रहा है. सभी की कोशिश होती है कि मोटा ताजा और लम्बा-चौड़ा बकरा खरीदा जाए. लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि बाजार से मोटा ताजा बकरा खरीदकर लाए और घर आते ही एक-दो दिन में उसका वजन घटने लगता है. गोट एक्सपर्ट की मानें तो बकरीद के बकरों में ये परेशानी आम है. क्योंकि रहने की जगह बदलते ही कई बार बकरा स्ट्रेस में आ जाता है.
और कभी-कभी ऐसा भी होता है कि बकरे को उसकी पहले की खुराक के मुताबिक खाने को नहीं मिल पाता है. हालांकि बकरा पालने वाले की कोशिश होती है कि उसे अच्छे से अच्छा खिलाएं. लेकिन बाजार में वो सारी चीजें मिल नहीं पाती हैं. जैसे हरा चारा, सूखा चारा, दाना और मिनरल मिक्चर. खासतौर से शहरी बकरा पालकों की इसी परेशानी को दूर करने के लिए एक ऐसा फीड तैयार किया गया है जो सभी तरह के चारे और दाने की जरूरत को पूरा कर देता है.
गोट एक्सपर्ट डॉ. एके दीक्षित का कहना है कि शहर में बकरा-बकरी पालन करना अब कोई मुश्किल काम नहीं है. ये कोई जरूरी नहीं है कि बकरों को फार्म और घर में रखकर सूखे, हरे और दानेदार चारे का अलग-अलग इंतजाम किया जाए. सीआईआरजी ने चारे की फील्ड में कई ऐसी रिसर्च की है कि जिसके बाद आपको बकरे के लिए तीन तरह के अलग-अलग चारे का इंतजाम करने की जरूरत नहीं है. संस्थान के साइंटिस्ट ने हरे, सूखे और दाने वाले चारे को मिलाकर पैलेट्स फीड तैयार किया है. जरूरत के हिसाब से बकरे और बकरियों के सामने पैलेट्स रख दिजिए, जब पानी का वक्त हो जाए तो पानी पिला दिजिए. इसके अलावा कुछ और न खिलाने की जरूरत है और न ही पिलाने की.
सीआईआरजी के सीनियर साइंटिस्ट और बरबरी नस्ल के एक्सपर्ट एमके सिंह का कहना है कि बरबरी नस्ल को शहरी बकरी भी कहा जाता है. अगर आपके आसपास चराने के लिए जगह नहीं है तो इसे खूंटे पर बांधकर या छत पर भी पाला जा सकता है. अच्छा चारा खिलाने से इसका वजन नौ महीने का होने पर 25 से 30 किलो, एक साल का होने पर 40 किलो तक हो जाता है. अगर सिर्फ मैदान या जंगल में चराई पर ही रखा जाए तब भी एक साल का बकरा 25 से 30 किलो का हो जाता है.
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