Fish Farming: जानें तालाब में मछली पालन करने वालों के लिए क्यों खास होता है जुलाई का महीना

Fish Farming: जानें तालाब में मछली पालन करने वालों के लिए क्यों खास होता है जुलाई का महीना

मॉनसून के मौसम में मछलियों की बिक्री कम हो जाती है. मछलियों के शि‍कार पर भी रोक लगा दी जाती है. लेकिन इस तरह की रोक सिर्फ समुद्र और नदी में रहने वाली मछलियों पर ही लगाई जाती है. क्योंकि ये मछलियों का प्रजननकाल होता है. जबकि तालाब में रहने वाली मछलियों के लिए तालाब में अलग से व्यवस्था की जाती है.  

नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Jul 08, 2024,
  • Updated Jul 08, 2024, 4:56 PM IST

दूसरे पशु-पक्षि‍यों की तरह से मछलियों के लिए भी मॉनसून बेहद खास होता है. इस दौरान मछलियों को भी उचित रखरखाव और बेहतर खानपान की जरूरत होती है. इसके पीछे एक खास वजह ये भी है कि इस दौरान मछलियां करती हैं. लेकिन तालाब में मछली पालन करने वाले ऐसी मछलियों के लिए अलग से तालाब तैयार करते हैं. लेकिन मॉनसून के दौरान तालाब के पानी में होने वाले बदलाव और संक्रमित बीमारियों के खतरे को देखते हुए खासतौर पर जुलाई-अगस्त में मछलियों के लिए खास तैयारियां करनी होती हैं. 

इन तैयारियों में तालाब का पानी, खुराक, खाद, ऑक्सीजन और संक्रमित बीमारियों से बचाव भी शामिल होता है. ऑक्सीजन का लेवल बनाए रखने के लिए एरेटर लगाए जाते हैं और पानी को प्रदूषण मुक्त रखना होता है. 

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मॉनसून में मछली पालक इन बातों का रखें ख्याल 

तालाब में ब्रूडर (बीज बनाने) वाली मछलियों के खाने का पूरा ख्याल रखें. 

मछलियों के कुल शरीर के वजन का दो से तीन फीसद की दर से खाने को दें. 
बेहतर प्रजनक मछली तैयार करने के लिए प्रति किलोग्राम पूरक आहार में 10 ग्राम मिनरल मिक्चर और पांच ग्राम गट प्रोबायोटिक्स का इस्तेमाल करें.

मछली बीज उत्पादक हैचरी में रोहु, कतला, मृगल, ग्रास कार्प, कॉमन कार्प और सिल्वर कार्प के स्पॉन (बीज) उत्पादन कर सकते हैं.  

नर्सरी तालाब में स्पॉन डालने के 15 दिनों के बाद ही रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल करें.

नर्सरी तालाब की तैयारी के बाद उसमे 15-20 लाख स्पॉन प्रति एकड़ की दर से ही पालन करें.

तालाब की तैयारी के बाद फ्राई स्पॉन की संख्या 1.5 से दो लाख प्रति एकड़ की दर से रखें. 

ग्रो आउट तालाब में मछली पालन के लिए 50 ग्राम के ईयररिंग की संख्या 3000  एकड़ और 100 ग्राम ईयरलिंग का स्टोरेज 2000 प्रति एकड़ की दर से करना चाहिए. 

सेमी डेंस मछली पालन के लिए तालाब में एयरेटर का इस्तेमाल करें.

तालाब में चूने का इस्तेमाल 15 दिनों के अंतर पर पीएच मान के मुताबिक 10-15 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से करना चाहिए.

तालाब में एक बार जैविक खाद के रूप में गोबर 400 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से करें. 

जैविक खाद के रूप में सरसों-राई की खल का इस्तेमाल 100 किलोग्राम प्रति एकड़ दर से करें.

सिंगल सुपर फॉस्फेट 15-20 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल का छिड़काव करें.

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रासायनिक और जैविक उर्वरक के बीच का अन्तराल कम से कम 15 दिन होना चाहिए. 

पानी ज्यादा हरा होने पर चूना और रासायनिक उर्वरक का प्रयोग बन्द कर दें.

मौसम खराब रहने पर तालाब में पूरक आहार का प्रयोग नहीं करें.

तालाब में मछलियों को संक्रमण से बचाने के लिए हर महीने 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से पोटॉशियम परमेंगनेट के घोल का इस्तेमाल करें.
 

 

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