शायद आपको पढ़कर अजीब लगे, लेकिन ये सच है कि पशुपालन में मुनाफा गाय-भैंस के गर्भवती होने और बच्चाो देने पर टिका होता है. दूध देने वाला पशु जितनी जल्दीे मतलब तीन महीने के अंदर-अंदर गर्भवती होगा तो उतनी ही जल्दीै बच्चाे भी देगा. बच्चा देगा तो उसके बाद दूध देना शुरू करेगा. बच्चा होगा तो बड़े होकर वो मुनाफा कराएगा. वर्ना तो गाय-भैंस के बच्चेब बहुत जल्दीं-जल्दीच मर जाते हैं. लेकिन बच्चे के पैदा होते ही कुछ बातों का ख्याल रखा जाए तो उन्हें शुरू से ही हेल्दी बनाया जा सकता है.
इसके लिए कोई बहुत ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी है. जरूरत बस इतनी है कि जैसे ही गाय-भैंस बच्चा दे तो हमे खासतौर पर 20 बातों का विशेष ख्याल रखना है. इसके लिए हम केन्द्रीय भैंस अनुसंधान केन्द्र, हिसार, हरियाणा द्वारा समय-समय पर जारी की जाने वाली गाइड लाइन का पालन भी कर सकते हैं. जैसे नवजात बच्चे का खानपान कैसा हो, उम्र के हिसाब से आवास कैसा हो आदि.
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जन्म के तुरंत बाद बच्चे के ऊपर की जेर-झिल्ली हटा दें और नाक-मुंह को अच्छी तरह साफ कर दें.
बच्चे को सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो छाती मलें और बच्चे की पिछली टांगें पकड़ कर उल्टा लटकाएं.
बच्चे की नाभि को तीन-चार अंगुली नीचे पास-पास दो स्थानों पर सावधानी से मजबूत धागे से बांधे.
नये ब्लेड या साफ कैंची से दोनों बंधी हुई जगहों के बीच नाभि को काट दें.
नाभि काटने के बाद उसके ऊपर टिंचर आयोडीन जरूर लगाएं.
बच्चे को भैंस के सामने रखें तथा उसे चाटने दें.
बच्चे को चाटने से बच्चे की त्वचा जल्दी सूख जाती है, जिससे बच्चे का तापमान नहीं गिरता.
बच्चे को चाटने से त्वचा साफ हो जाती है और शरीर में खून दौड़ने लगता है.
चाटने से मां और बच्चे के बीच संबंध गहरा होता है.
बच्चे को चाटने से मां को कुछ लवण और प्रोटीन भी मिल जाते हैं.
अगर भैंस बच्चे को नहीं चाटती है तो फिर साफ तौलिए से बच्चे की रगड़ कर सफाई कर दें.
जन्म के 1-2 घंटे के अंदर नवजात बच्चे को खीस जरूर पिलाएं.
बच्चेक को खीस पिलाने के लिए भैंस की जेर गिरने का इंतजार न करें.
एक-दो घंटे के अंदर पिलाया हुआ खीस बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है.
खीस पीने से बच्चे को खतरनाक बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है.
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बच्चे को उसके वजन के 10 फीसद के बराबर दूध पिलाना चाहिए.
नवजात बच्चा अगर 30 किलो का है तो सुबह-शाम में तीन लीटर दूध पिलाएं.
यह ध्यान रखें कि पहला दूध पीने के बाद बच्चा लगभग दो घंटे के अंदर मल त्याग कर दे.
बच्चे को अधिक गर्मी-सर्दी से बचाकर साफ जगह पर रखें.
बच्चे को 10 दिन की उम्र पर पेट के कीड़ों की पहली खुराक 21 दिन की उम्र पर दूसरी खुराक पिलाएं.