पानी सिर्फ मछली का ही जीवन नहीं है, बल्कि मछली पालन करने वालों की जिंदगी भी पानी पर ही टिकी होती है. क्योंकि मछलियों को पानी सही मिलेगा तो वो बीमार नहीं होंगी और उनकी ग्रोथ भी अच्छी होगी. और जैसा कि मछली पालन को जलकृषि कहा जाता है तो इसलिए और भी जरूरी हो जाता है कि मछली पालन करते वक्त तालाब में पानी का खास ख्याल रखा जाए. मौसम के अनुसार भी पानी को लेकर ज्यादा सावधानियां बरतने की जरूरत होती है. पानी की तरह से बरती गई छोटी सी भी लापरवाही मछलियों की मौत की वजह बन सकती है.
मछलियों में कई तरह की बीमारी हो जाती है और इसके चलते उनकी मौत तक होने लगती है. और अगर पानी के प्रदूषित होने के चलते कहीं ऑक्सीजन कम हो गई तो फिर मछलियों को मरने से कोई नहीं रोक सकता है. पानी में कई ऐसे जीव-जन्तु पैदा हो जाते हैं जो मछलियों को नुकसान पहुंचाते हैं. और अगर देखभाल सही तरीके से की जाए तो मछलियों में बीमारी भी कम होती है.
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मछली पालक अमरीक सिंह का कहना है कि मछली पालन के लिए तैयार किए गए टैंक या तालाब खुले में ऐसी जगह होने चाहिए जहां सूरज की सीधी धूप पड़ती हो. पानी में सीप और घोंघे आदि जीव-जन्तु न पनपने पाएं. मछलियों को मांसाहारी जीव-जन्तु से बचाने के लिए जाल का इस्तेमाल करें. एक्सपर्ट की सलाह पर पानी में दवा का छिड़काव करते रहें.
मछली पालकों की मानें तो गर्मी और सर्दी में तालाब और टैंक के पानी का खासतौर पर ख्याल रखा जाता है. हर मौसम में पानी के लिए अलग मानक होते हैं. अगर सर्दी है तो तालाब और टैंक के पानी को ज्यादा ठंडा न होने दें. सुबह-शाम मोटर चलाकर ताजा पानी को मिलाकर तालाब के पानी को सामान्य कर दें. इसी तरह से गर्मी में ताजा पानी चलाकर उसकी गर्महाट को कम कर दें. इसके लिए तालाब के पास पानी की बड़ी मोटर का इंतजाम करके रखें.
पानी में प्रदूषण के चलते ऑक्सीजन की मात्रा कम होना एक सामान्य बात है. लेकिन बड़ी बात यह है कि इसके चलते मछली पालक को कई बार बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है. ऑक्सीजन की कमी के चलते मछलियां मरने लगती हैं. इसलिए समय-समय पर उपकरण की मदद से पानी का ऑक्सीजन और पीएच लेवल जांच लेना चाहिए. अगर ऑक्सीजन की कमी ज्यादा है तो मशीनों की मदद से ऑक्सीजन पानी में छोड़ी जानी चाहिए.
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