देश में खेती को मुनाफे का सौदा बनाने के साथ ही किसानों की आय बढ़ाने के लिए पशुपालन और मधुमक्खी पालन को भी बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि किसान सिर्फ आय के एक स्त्रोत पर निर्भर न रहें. इसका असर जम्मू-कश्मीर में भी देखने को मिल रहा है. जम्मू-कश्मीर पहले से ही बागवानी के लिए जाना जाता रहा है. अब इसकी पहचान शहद उत्पादन के मामले में भी बन रही है. यहां युवा कृषि उद्यमी 'शहद क्रांति' ला रहे हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, क्षेत्र में शहद उत्पादन में दो गुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
कहा जा रहा है कि युवा उद्यमियों में मधुमक्खी पालन को लेकर बढ़ती रुचि और नई योजनाओं की शुरू के कारण यह बढ़ाेतरी देखने को मिली है. साल 2019 में जम्मू-कश्मीर में 1,306.2 टन शहद का उत्पादन हुआ था, जो फरवरी 2024 में बढ़कर 2,709.2 टन पर पहुंच गया.
पहले जम्मू-कश्मीर में खासकर घाटी में उग्रवादी गतिविधियों के कारण लोगों का जीवन बेहाल था, लेकिन अब यह क्षेत्र युवा कृषि-उद्यमियों का गढ़ बनता जा रहा है. ‘बिजनेसलाइन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीनगर से 18 किलोमीटर दक्षिण में पुलवामा जिले के संबूरा गांव में नाज़िम नज़ीर मधुमक्खी पालन का काम करते हैं. यहां तक कि पीएम नरेंद्र मोदी भी मधुमक्खी पालन क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल करने के लिए नाजिम की तारीफ कर चुके हैं.
मधुमक्खी पालक नज़ीर ने कहा कि अकेले पुलवामा जिले में लगभग 2,000 लोग मधुमक्खी पालन का काम करते हैं. नज़ीर ने कहा कि उनके खुद के पास मधुमक्खी की 2,000 कालोनियां हैं. वे इनके जरिए सालभर में लगभग 3,000 किलोग्राम शहद का उत्पादन हासिल करते हैं, जिससे उन्हें लगभग 60 लाख रुपये की कमाई होती है. जम्मू-कश्मीर के शहद उत्पादकों ने कुल 22,7061 मधुमक्खी कालोनियां बनाई है, जिनमें से 1,76,078 कालोनियां मधुक्रांति पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में जम्मू में 2,699 लोग और घाटी में 2,120 लोग यानी कुल 4,819 लोग मधुमक्खी पालन का व्यवसाय करते हैं. इन मधुमक्खी पालकों में से 1,675 ही मधुक्रांति पोर्टल पर रजिस्टर्ड हैं. कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) ने पहल करते हुए राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) के तहत मधुक्रांति पोर्टल को लॉन्च किया है. आंकड़ों से पता चलता है कि मधुमक्खी पालन को बढ़ावा मिलने से क्षेत्र में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है.
इस क्षेत्र से जम्मू-कश्मीर में 4,994.18 करोड़ रुपये का राजस्व आता है. रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ शहद उत्पादन से 1,354.6 करोड़ की आय हुई, जबकि मधुमक्खी के छत्ते से निकलने वाले मोम से 2,709 करोड़ की आय हुई. वहीं, परागण की प्रक्रिया को बढ़ावा देने से 227 करोड़ की कमाई हुई. इससे लोगों को रोजगार भी मिलने से उन्हें 621.57 करोड़ रुपये की कमाई हुई. इसके अलावा, मधुमक्खी कालोनियों के विभाजन से 81.7 करोड़ की आय हुई.
रिपोर्ट के मुताबिक, एक अधिकारी ने कहा कि नई योजनाओं के चलते जम्मू-कश्मीर में मधुमक्खी पालन क्षेत्र में क्रांति लाने का काम किया है. इस क्रांति के चलते क्षेत्र ने शहद उत्पादन में राष्ट्रीय स्तर पर 10वां स्थान हासिल किया है. बागवानी के एकीकृत विकास के लिए मिशन, राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन और जम्मू-कश्मीर के समग्र कृषि विकास कार्यक्रम जैसी योजनाओं से यहां के किसानों की आजीविका को बढ़ाने में मदद मिली है.