गर्मी का मौसम दस्तक देने लगा है. लेकिन इस दस्तक के साथ ही पशुपालकों की धड़कन भी बढ़ने लगी हैं. पशुपालक अभी से हरे चारे को लेकर परेशान हो रहे हैं. देश में हरे चारे की कमी तो चल ही नहीं है, लेकिन खासतौर पर मई-जून के दौरान हरे चारे की कमी बड़ी हो जाती है. इसके चलते जहां पशुओं का पेट भरने में परेशानी आती है, वहीं हरे चारे से मिलने वाला प्रोटीन भी कम हो जाता है. लेकिन एनीमल एक्सपर्ट का कहना है कि अजोला से पशुओं में प्रोटीन की कमी पूरी की जा सकती है.
इसके लिए एक्सपर्ट पशुपालकों और किसानों को अप्रैल में अजोला लगाने की सलाह देते हैं. उनका कहना है कि एक से सवा महीने में पशुओं को खिलाने लायक अजोला आराम से तैयार किया जा सकता है. बस जरूरत इस बात की है कि अजोला तैयार करते वक्त कुछ खास और जरूरी बातों का ख्याल रखा जाए.
मई-जून के लिए ऐसे करें अजोला का उत्पादन
- खुले या बंद एरिया में अजोला उत्पादन करें, लेकिन 25-30 डिग्री सेल्सियस तापमान बनाए रखें.
- 30 डिग्री से ज्यादा तापमान से अजोला को बचाने के लिए छायादार जगह में उत्पादन करें.
- अजोला के सभी गड्ढे के कोनों को समतल में रखना चाहिए जिससे बारिश के दौरान परेशानी ना हो.
- अजोला का हर रोज का न्यूनतम उत्पादन 300 ग्राम से 350 ग्राम प्रति वर्गमीटर रखें.
- गड्ढे में समय-समय पर गाय का गोबर और सुपर फॉस्फेट डालते रहना चाहिए.
- कीटनाशक और फफूंदनाशक दवाओं का उपचार जरूरत पड़ने पर फौरन करना चाहिए.
- हर 30 दिनों के बाद अजोला की पुरानी मिट्टी को ताजा करीब 5 किलो मिट्टी से बदलते रहें.
- मिट्टी बदलने से अजोला को नाइट्रोजन की अधिकता और लघु खनिजों की कमी होने से बचा सकते हैं.
- 10 दिन में एक बार अजोला के गड्ढे में 25 से 30 फीसद पानी को ताजे पानी से बदलना चाहिए. अजोला के गड्ढे का 25 से 30 फीसद पानी बदलने से नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ती है.
- छह महीने में एक बार अजोला के गड्ढे को पूरी तरह से खाली कर साफ करना चाहिए.
- छह महीने में एक बार गड्ढे को खाली कर उसमे पानी, गोबर और अजोला कल्चर डालना चाहिए.
- अजोला पर अगर कीट या फफूंद का हमला होता है तो नये सिरे से नयी जगह पर उत्पादन शुरू करना चाहिए.
- अजोला तैयार करने वाले गड्ढे-टंकी में पानी के पीएच मान का समय पर परीक्षण करते रहें.
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