Animal Care: बरसात में पूरी खुराक खाने के बाद भी कम दूध देगा पशु, ये उपाय अपनाएं तो नहीं होगा घाटा 

Animal Care: बरसात में पूरी खुराक खाने के बाद भी कम दूध देगा पशु, ये उपाय अपनाएं तो नहीं होगा घाटा 

Animal Care in Rainy Season पशुओं का बीमा कराना और उनकी टैगिंग (रजिस्ट्रेशन) कराना पशुपालकों को पशुओं में होने वाली बीमारियों की परेशानी से बचाता है. बरसात में जब पशु बीमारियों से मरते हैं या उन्हें जहरीले कीड़े काट लेते हैं तो बीमा की रकम ही पशुपालक को राहत देती है. और बिना टैगिंग कराए बीमा की रकम मिलती नहीं है. इसलिए जोखिम को कम करने के लिए ये दोनों काम भी बेहद जरूरी हैं.

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नासि‍र हुसैन
  • New Delhi,
  • Jul 10, 2025,
  • Updated Jul 10, 2025, 9:43 AM IST

Animal Care in Rainy Season खासतौर पर बरसात के दौरान हरा चारा, पीने का पानी देने और पशुओं के रखरखाव में जरा सी भी लापरवाही हुई तो पशु बीमार पड़ जाता है. और एक बार पशु बीमार हुआ नहीं कि उसका उत्पादन घट जाता है. फिर चाहें बीमारी छोटी हो या बड़ी. जिसके चलते पशुपालक को भी खासा आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. कई बार तो छोटी-बड़ी ये बीमारियां पशुओं के लिए जानलेवा बन जाती हैं. एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि अगर पशुपालक बरसात का मौसम शुरू होने से पहले ही कुछ उपाय अपना लें तो उनका भी पशु हेल्दी रहेगा और पशुपालक भी नुकसान के जोखिम से बच जाएगा. 

इसमे खानपान के अलावा शेड का रखरखाव और वैक्सीनेशन भी प्रमुख रूप से शामिल है. हालांकि सरकार भी किसानों को इस तरह के नुकसान से बचाने के लिए कई योजनाएं चला रही है. योजनाओं का मकसद ये है कि मॉनसून के दौरान पशु की हैल्थ भी अच्छी रहेगी और दूध भी पूरा देंगे. इतना ही नहीं गांव और कस्बों के पशु अस्पताल में ये सभी सुविधाएं पहले मौजूद हैं. 

चारा-पानी सही वक्त के साथ सही मात्रा में करता है असर 

एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि बरसात के मौसम में होने वाले हरे चारे में पानी की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. अगर पशु इस चारे को ज्यादा खा लेता है तो उसे डायरिया होने की संभावना रहती है. इसी तरह से इस मौसम में ही कई जगह खुले में बारिश का पानी जमा हो जाता है. ये पानी पूरी तरह से दुषित होता है. और जब पशु इसे पीता है तो वो बीमार हो जाता है. इसलिए पशु को घर पर ही बाल्टी या किसी टंकी की मदद से पानी पिलाएं. साथ ही पशु को बाहर हरा चारा चरने के लिए ना भेजें. अगर पशु बाहर जा रहा है तो उसे घर पर सूखा चारा, दाना और मिनरल्स जरूर दें. 

बारिश से पहले नहीं कराया तो अब करा लें टीकाकरण

एक्सपर्ट का कहना है कि गाय-भैंस के चार महीने के बच्चे से टीका लगना शुरू हो जाता है. खुरपका-मुंहपका, गलघोंटू, मिल्क फीवर, थनेला आदि ऐसी बीमारी हैं जिन्हें वक्त पर टीका लगवाकर रोका जा सकता है. इसलिए मॉनसून शुरू होने से पहले जरूरी टीके लगवा लें, अगर अभी भी नहीं लगवाए हैं तो अब गांव के पशु अस्पशताल में जाकर लगवा सकते हैं. इसके साथ ही पशु को पेट के कीड़े की दवा जरूर खिलवाएं. 

बरसात में पशुपालन के दौरान इन बातों का रखें ख्याल

बरसात के दिनों में संक्रमण रोग ज्यादा होते हैं. इसलिए बाड़े में सभी पशुओं को एक साथ कभी न बांधे. जैसे हैल्थी पशुओं को अलग रखें, बीमार को अलग बांधे, छोटे बच्चों  को अलग रखें, इसी तरह से जो पशु गाभिन हैं या फिर बच्चा दे चुके हैं उन्हें अलग रखें. गाभिन या बच्चा  दे चुके पशुओं को खाने के लिए अच्छी खुराक दें. पशुओं को मक्खी और मच्छर से बचाने के लिए फोगिंग कराएं. अगर कोई पशु मर जाता है तो उसे यहां-वहां खुले में न फेंककर मिट्टी में दबाएं और उसके ऊपर नमक जरूर डालें. पशु को चमड़ी के रोग न होने दें. पशु को हाथ लगाने से पहले और उसके बाद अपने हाथ को सेनेटाइज जरूर करें. नए आए पशु को 15 दिन के लिए दूसरे पशुओं से अलग रखें. 

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