पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो मार्च-अप्रैल के दौरान बाजार में मिलावटी मुर्गा बेचा जाता है. कुछ लोग खासतौर पर चिकन के लिए बिकने वाले ब्रायलर मुर्गे में मिलावट करते हैं. खास बात ये है कि ये मिलावट जिंदा मुर्गों में की जाती है. हालांकि सुनने में ये बात बड़ी अजीब लगती है कि जिंदा मुर्गों में मिलावट हो सकती है, लेकिन ये सौ फीसद सच है एक्सपर्ट की मानें तो मार्च-अप्रैल में ही मिलावट करने के पीछे कुछ खास वजह है. हालांकि थोड़ी बहुत मिलावट तो पूरे सालभर ही चलती रहती है. लेकिन बड़े पैमाने पर मिलावट इन दो महीनों में ही की जाती है. बाजार में चिकन के लिए बिकने वाले महंगे ब्रायलर मुर्गों में लेयर बर्ड की मिलावट की जाती है. अंडा देने वाली मुर्गी को लेयर बर्ड कहा जाता है. बाजार में जो सफेद रंग का छह से सात रुपये का अंडा बिकता है वो लेयर बर्ड का ही होता है.
लेयर बर्ड का पालन सिर्फ अंडे के लिए किया जाता है. दो से सवा दो साल तक यह अंडा देती है. इसके बाद इसे रिटायर कर दिया जाता है. जब अंडा देने वाली मुर्गी अंडा देना बंद या बहुत कम कर देती है तो उसे कटने के लिए बेच दिया जाता है. ब्रॉयलर मुर्गे के मुकाबले लेयर बर्ड बहुत सस्ती होती है. हालांकि मुर्गों में होने वाली मुर्गियों की मिलावट को पकड़ना कोई नामुमकिन नहीं है. अगर दोनों के बीच शरीरिक बनावट के अंतर को पहचान लिया जाए तो आसानी से अंडे देने वाली मुर्गी को पहचाना जा सकता है.
मार्च-अप्रैल के दौरान अंडे देने वाली पुरानी मुर्गियों को नई मुर्गियों से बदला जाता है. इसलिए पुरानी मुर्गियों को 25 से 30 रुपये किलो के हिसाब से बेच दिया जाता है. और इसी सस्ती मुर्गी को ब्रायलर के साथ मिलाकर बेच दिया जाता है.
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