Tick in Animal: मॉनसून में गाय-भैंस की बेबेसियोसिस बीमारी से बचाने के लिए अपनाएं ये उपाय 

Tick in Animal: मॉनसून में गाय-भैंस की बेबेसियोसिस बीमारी से बचाने के लिए अपनाएं ये उपाय 

Tick Problem in Monsoon बेबेसियोसिस के पैरासाइट पशुओं के खून में चिचड़ियों की मदद से प्रवेश कर जाते हैं और खून में जाकर लाल रक्त कोशिकाओं में अपनी संख्या बढ़ाने लगते है. इसी वजह से शरीर का हीमोग्लोबिन पेशाब के साथ बाहर निकलने लगता है. जिसके चलते पेशाब का रंग लाल या गहरे भूरे रंग का हो जाता है. 

Advanced breeds of cow and buffaloAdvanced breeds of cow and buffalo
नासि‍र हुसैन
  • NEW DELHI,
  • Jun 12, 2025,
  • Updated Jun 12, 2025, 11:06 AM IST

Tick Problem in Monsoon बेशक मॉनसून दुधारू पशुओं को राहत देता है, लेकिन ये भी सच है कि बरसात के इसी मौसम में पशुओं को संक्रमण वाली बीमारियां होती हैं. खासतौर पर टिक वाली बेबेसियोसिस बीमारी. यही वजह है कि एनिमल एक्सपर्ट बरसात के दिनों में गाय-भैंसों को बीमारियों से बचाने के लिए उनकी देखभाल पर बहुत ध्यान देने की बात कहते हैं. उनका कहना है कि हर मौसम में कोई न कोई एक-दो बीमारियां ऐसी हैं जो दुधारू पशुओं के लिए जानलेवा साबित होती हैं. बेबेसियोसिस भी ऐसी ही एक बीमारी है. ये बीमारी खासतौर पर बरसात के दिनों में ज्यादा होती है. इसका संक्रमण गाय-भैंस दोनों पर ही होता है. 

एक्सपर्ट का कहना है कि बरसात में इसके ज्यादा फैलने की एक वजह ये भी है कि बेबेसियोसिस को फैलाने वाले पैरासाइट ज्यादा गर्मी और ज्यादा नमी में तेजी से पनपते हैं. इस बीमारी के चलते पशुओं के शरीर में खून की कमी होने लगती है. इतना ही नहीं दूध उत्पादन भी घट जाता है. अगर वक्त रहते इस बीमारी को नहीं पहचाना गया, सही वक्त पर पशुओं को इलाज नहीं मिले तो पशुओं की मौत तक हो जाती है. 

गाय-भैंस में दिखें ये लक्षण तो शुरू करा दें बेबेसियोसिस का इलाज

गाय-भैंस में होने वाली किलनियों और चीचड़ों से हर एक पशुपालक परेशान रहता है. बेबेसियोसिस बीमारी की वजह भी यही दोनों होते हैं. बेबेसियोसिस की प्रजातियों में बबेसिया बोविस, बेबेसिया मेजर, बेबेसिया बाइजेमिया और बेबेसिया डाईवरजेन्स शामलि हैं. इस बीमारी से दूध उत्पादन का घटना, ग्रोथ में कमी का होना आम है.

  • बेबेसियोसिस के चलते पशु खाना-पीना छोड देता है. 
  • बबेसियोसिस की वजह से ही दूध उत्पादन घट जाता है. 
  • बबेसियोसिस से पीडि़त पशु को तेज बुखार आ जाता है.
  • खून की कमी, हदय की धड़कन बढ़ना और पीलिया हो जाता है. 
  • पीडि़त पशु लाल या फिर ब्रॉउन कलर का पेशाब करता है. 
  • बबेसियोसिस पीडि़त पशु को खूनी दस्त की शि‍कायत हो जाती है. 
  • बीमारी बढ़ने पर वक्त से इलाज नहीं मिले तो 90 फीसद केस में पशु की मौत हो जाती है. 

बेबेसियोसिस पीडि़त का ऐसे करें इलाज

  1. बेबेसियोसिस संक्रमित पशु के लक्षणों के आधार पर इलाज शुरू कराएं.
  2. अपने क्षेत्र में किलनियों-चिचढ़ो के प्रसार को रोकने के बारे में जागरुकता फैलाएं.
  3. जो भी पशु थोड़ा भी बीमार दिखें तो उनके खून की जांच कराएं. 
  4. पशुचिकित्सक की सलाह से डाईमिनेजीन, एसीट्‌यूरेट, ऑक्सीट्टासाइक्लिन एंटीबायोटिक और खून बढ़ाने वाली दवाई देनी चाहिए.

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