महाराष्ट्र के बारामती में एक तालुका में मछलियों पर आफत टूट पड़ी है. यहां की निरा नदी के कछार में लाखों मछलियां मृत पाई गई हैं. मछलियों के मरने का सिलसिला लगातार जारी है. वजह बताई जा रही है कि नदी के पानी में केमिकल का मिक्स होना. इस केमिकल ने नदी के पानी को जहरीला बना दिया है जिससे मछलियां तेजी से मरी जा रही हैं. इस घटना का वीडियो जारी हुआ है जिसमें देखा जा सकता है कि नदी के ऊपरी सतह पर लाखों मछलियां उतरा गई हैं. ऐसा नजारा अमूमन नहीं होता है क्योंकि मछलियां हमेशा ऊपरी सतह से कुछ नीचे तैरती हैं. इस घटना से किसानों में घोर मायूसी है क्योंकि उसी नदी का पानी फसलों में सिंचाई के लिए उपयोग होता है.
बात चाहे बारामती की हो या कहीं और की. नदियों के पानी का प्रदूषण गंभीर मसला बन गया है. बारामती तालुका की बात करें तो एक तरफ जहां करहंडीकाठ में आम जनता पीने के पानी के लिए तरस रही है. तो दूसरी ओर निरा नदी की तलहटी में अथाह पानी का स्रोत जमा है. यहां के पूरे सिंचित इलाके में पानी का स्रोत भरा पड़ा है. लेकिन यह स्रोत किसी काम का नहीं क्योंकि चीनी मिलों ने इसे कहीं का नहीं छोड़ा है. मिलों ने पानी को जहरीला बना दिया है.
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निरा नदी के तीर पर बारामती की कई कोऑपरेटिव चीनी मिलें हैं जो दिन-रात चलती हैं. इन चीनी मिलों का केमिकल इसी निरा नदी में छोड़ा जाता है जिससे नदी का पूरा पानी प्रदूषित हो चला है. यूं कहें कि निरा नदी का पानी पूरी तरह से जहर में तब्दील हो गया है. आज बेचारे किसान इस नदी के जहरीले पानी की मार झेल रहे हैं. उन्हें अपने इस्तेमाल के लिए इसी काले पानी को लेना पड़ रहा है क्योंकि दूसरा कोई विकल्प नहीं है. यहां के हालात कुछ ऐसे हैं कि पानी तो बहुतायत में है, मगर वह किसी काम का नहीं है.
बारामती तालुका के लोगों के लिए निरा नदी किसी वरदान से कम नहीं रही है. इस इलाके में बागवानी फसलों की बड़े पैमाने पर खेती होती है. इसलिए किसान निरा नदी को बेहद सम्मान भरी निगाहों से देखते हैं. मगर अभी स्थिति बिगड़ गई है. यह पूरी नदी भीषण प्रदूषण से जूझ रही है और उसका शिकार बने हैं यहां के किसान. निरा नदी के बेसिन में सोमेश्वर कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्री से केमिकल मिला पानी छोड़ा गया है जिससे मछलियां बड़ी तादाद में मर गई हैं. यह कोऑपरेटिव फैक्ट्री महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता अजीत पवार के नेतृत्व में चलाई जाती है.
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निरा नदी में इस शुगर फैक्ट्री का पानी छोड़े जाने से होल, कोरहाले खुर्द, कांबलेश्वर, लाटे, शीर्शने के बांधों का पानी पूरी तरह से प्रदूषित हो गया है. इसका नतीजा हुआ कि इन बांधों के पानी में पाई जाने वाली लाखों मछलियां की अकाल मौत हो गई है.
सरकार चीनी मिलों द्वारा चीनी उत्पादन के अलावा अन्य उप-उत्पाद उत्पादन परियोजनाओं को स्थापित करने की कोशिश कर रही है. लेकिन इस परियोजना से उत्पन्न प्रदूषित पानी का निपटान नहीं किया जा रहा है. चीनी कारखाने का निदेशक मंडल, प्रदूषण नियंत्रण निगम भी इसकी अनदेखी कर रहे हैं.
विधानसभा सत्र के दौरान कई किसानों ने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बवनकुले से शिकायत की थी. बवनकुले ने खुद आकर निरा नदी के पानी का निरीक्षण किया है. उन्होंने वादा किया कि आने वाले दिनों में क्षेत्र में इसका समाधान निकाला जाएगा. वहीं दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार ने भी कहा कि वे दोनों कारखानों के अध्यक्ष को उचित निर्देश देंगे. वे खुद प्रदूषण नियंत्रण निगम से शिकायत करेंगे.
बारामती तालुका में निरा नदी के प्रदूषण को लेकर किसानों ने विपक्ष नेता अजित पवार से कई बार शिकायतें की थी. लेकिन मालेगांव और सोमेश्वर सहकारी चीनी मिलों का संचालन पवार के नेतृत्व में होता है. इसके चलते किसानों ने सवाल उठाया है कि किसानों के सामने प्रदूषित पानी का मसला कौन सुलझाएगा.