पांच पॉइंट में समझें PM Fasal Bima Yojana में कैसे करें क्लेम, क्या है सबसे आसान तरीका

पांच पॉइंट में समझें PM Fasal Bima Yojana में कैसे करें क्लेम, क्या है सबसे आसान तरीका

यहां हम आपको बताएंगे कि बारिश या ओलावृष्टि से फसल नुकसान होने पर फसल बीमा का आसानी से कैसे लाभ लिया जा सकता है. यह भी बताएंगे कि आसान स्टेप्स में पीएम फसल बीमा के अंतर्गत कैसे क्लेम करना है. यह जानकारी भी मिलेगी कि कहां क्लेम करना है.

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पांच पॉइंट में समझें PM Fasal Bima Yojana में कैसे करें क्लेम, क्या है सबसे आसान तरीकाआसान भाषा में समझें पीएम फसल बीमा योजना के बारे में

आजकल एक स्कीम सबके जुबान चढ़ी हुई है. इसका नाम है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PM Fasal Bima Yojana). स्कीम के नाम से स्पष्ट है कि इससे किसानों को फसल बीमा का लाभ दिया जाता है. अभी यह सबसे अधिक चर्चा में इसलिए है क्योंकि हालिया बारिश और ओलावृष्टि से फसलों का भारी नुकसान हुआ है. उत्तर भारत के लगभग सभी राज्य इसकी चपेट में हैं. गेहूं कटनी से पहले ही बारिश ने पूरी फसल को खेतों में बिछा दिया है. ऐसे में किसानों को सबसे बड़ी आस केंद्र की पीएम फसल बीमा योजना से है. तो आइए इस स्कीम के बारे में जानते हैं. यह भी जानते हैं कि स्कीम का फायदा लेने के लिए किसान कैसे क्लेम कर सकते हैं.

PM Fasal Bima Yojana ऐसी स्कीम है जिसमें किसी प्राकृतिक आपदा से हुए फसल नुकसान की भरपाई की जाती है. यह स्कीम किसानों की फसलों को प्राकृतिक आपदा की मार से सुरक्षित रखने में मदद करती है. स्कीम का नियम है कि आपदा की स्थिति में किसान अपने फसली नुकसान को फसल बीमा कंपनी को तुरंत सूचित कर सकते हैं. किसानों को सूचना देने में कोई कठिनाई न हो, इसके लिए इस प्रक्रिया को बहुत ही आसान रखा गया है.

सबसे पहले क्या करें किसान

मान लें आपकी फसल को बारिश या ओलावृष्टि से भारी नुकसान हुआ है. जैसे गेहूं की बालियां टूट गई हैं, पकी फसल खेत में लेट गई है, फसल में पानी लगने से सड़न शुरू हो गई है, तो आपको आपदा आने के 72 घंटे के भीतर इसकी सूचना देनी होगी.

पांच पॉइंट में लें जानकारी

सूचना देने के लिए किसानों को पांच सुविधाएं दी गई हैं. इसके बारे में नीचे जानकारी दी जा रही है.

1-कॉल सेंटर पर फोन- आपको पता होगा कि आपकी फसल का बीमा किस कंपनी में हुआ है. कंपनी का नाम बीमा के कागज पर लिखा होता है. इसलिए आपदा के 72 घंटे के भीतर फसल बीमा कंपनी के कॉल सेंटर नंबर पर जरूर फोन करें. आपके लिए सबसे जरूरी काम यही है क्योंकि इसके बाद ही मुआवजे का अगला प्रोसेस शुरू होता है.

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2-फसल बीमा एंड्रॉयड एप- आप चाहें तो फसल बीमा की कंपनी के मोबाइल एप पर भी नुकसान की जानकारी दे सकते हैं. मान लें आपने ICICI Lombard से फसल बीमा लिया है, तो अपने मोबाइल फोन में उसके एप पर जाकर नुकसान की जानकारी दे सकते हैं. फोन में यह एप न हो तो उसे प्ले स्टोर से डाउनलोड कर सकते हैं.

3-बैंक- ध्यान रहे कि कोई भी फसल बीमा बिना किसी बैंक के माध्यम से नहीं होता. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बीमा का पैसा उसी बैंक में आता है. आपका अकाउंट जिस बैंक में होगा, उस बैंक से फसल बीमा की कंपनी अटैच होगी. इसलिए आपदा के 72 घंटे के भीतर आप उस बैंक में भी नुकसान की जानकारी दे सकते हैं. इसके लिए आपको बैंक में जाकर एक लिखित आवेदन देना होगा.

4-कृषि विभाग- कृषि विभाग खेती-बाड़ी में आपकी मदद के लिए बड़ी जिम्मेदारी निभाता है. यहां आप खेती की जानकारी पाने के साथ ही खेती में हुए नुकसान की सूचना भी दे सकते हैं. अगर आपकी फसल आपदा में मारी जाती है, तो आप नजदीकी कृषि विभाग में इसकी लिखित जानकारी दर्ज कर सकते हैं. कृषि विभाग इस सूचना को दर्ज करने से इनकार नहीं कर सकता.

5-पीएम फसल बीमा योजना सुविधा केंद्र- प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार के निर्देश पर पीएम फसल बीमा योजना सुविधा केंद्र चलाए जाते हैं. यह केंद्र वैसा ही होता है, जैसा आपके गली-मोहल्ले में ग्राहक सेवा केंद्र होता है. फसल नुकसान होने पर आपको अपने नजदीकी पीएम फसल बीमा योजना सुविधा केंद्र में जाना होगा. वहां अपने फसल बीमा की जानकारी देकर आपदा से हुए नुकसान की शिकायत दर्ज करानी होगी. 

आवेदन में क्या दें जानकारी

ऊपर बताए गए पांच में से किसी भी स्थान पर जब सूचना देने जाएं तो ये पांच जानकारियां जरूर दें.

1-नाम- आवेदन में अपना सही नाम लिखें क्योंकि उसी नाम पर मुआवजा दिया जाएगा.

2-मोबाइल नंबर- सही मोबाइल नंबर देना जरूरी है क्योंकि वही नंबर आपके बीमा और बैंक में दर्ज होगा. उसी नंबर पर मुआवजे का मैसेज भी आएगा. ओटीपी भी उसी नंबर पर भेजा जाएगा.

3-बीमा एकनॉलेजमेंट नंबर- आवेदन भरते समय अपने बीमा का एकनॉलेजमेंट नंबर जरूर दें. यह नंबर उस वक्त मिलता है जब आप बीमा कंपनी में फसल का इंश्योरेंस कराते हैं. आपके मोबाइल पर भी यह नंबर मैसेज में आता है. यही नंबर सही-सही देना बहुत जरूरी है क्योंकि असली काम इसी से शुरू होना है. 

4-आपदा का प्रकार- आवेदन में इस बात का जरूर जिक्र करें कि किस तरह की प्राकृतिक आपदा से आपकी फसल मारी गई है. अगर बारिश से नुकसान है, तो बारिश लिखें, ओलावृष्टि से क्षति है तो उसे दर्ज करें. या और भी कोई आपदा हो तो उसका सही-सही प्रकार जरूर लिखें.

5- प्रभावित फसल- आवेदन में उस फसल का नाम लिखना भी अति आवश्यक है जिस पर आपदा की मार पड़ी है. मसलन, इस मौसम में गेहूं, चना, सरसों या सब्जी की फसल मारी गई है, तो अपने आवेदन में उस फसल का नाम जरूर लिखें जिसका बीमा लिया था. उस फसल का नाम लिखने का कोई मतलब नहीं जिसका बीमा नहीं कराया गया हो.

इसके बाद क्या होगा

आपके सूचना देने के दो दिन के भीतर कृषि विभाग और फसल बीमा कंपनी के अधिकारियों की एक कमेटी बनाई जाती है. इन दोनों विभागों के नुमाइंदे फसली नुकसान की जानकारी देने के 10 दिन के भीतर फसल का सर्वे करेंगे. कृषि विभाग और फसल बीमा कंपनी के नुमाइंदे किसान के मोबाइल पर फोन करेंगे, उसे खेत में बुलाएंगे और प्रत्यक्ष रूप से सर्वे करेंगे. 

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दोनों विभागों की टीम सर्वे में यह तय करेगी कि किसान की फसल का कितना नुकसान हुआ है. ध्यान रखें कि जब तक यह टीम सर्वे नहीं कर लेती है, तब तक किसान को अपनी फसल खेत से नहीं निकालनी चाहिए. 

कहां लागू होता है नियम

धान में अगर जलभराव से फसल खराब होती है तो उस पर पीएम फसल बीमा योजना लागू नहीं होती.

कटाई करने के बाद आने वाली आपदा का नियम उसी फसल पर लागू होता है जो फसल काट कर खेत में सुखाई जाती है. जैसे गेहूं, चना, सरसों आदि.

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