पश्चिम मध्यप्रदेश के झाबुआ का कड़कनाथ मुर्गा अब चुनाव में तड़का लगाने की तैयारी में है. आगामी नवंबर-दिसंबर में संभावित विधानसभा चुनाव के चलते जुलाई-अगस्त में कड़कनाथ पालक कड़कनाथ चूजे जुटाकर उनको बड़ा करने में जुटे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि जब नवंबर में चुनाव अपने पीक पर आए तो ये चूजे खाने के काम में आ सकें और कड़कनाथ पालक चुनावी मौसम में दोगुनी से ढाई गुनी कीमत पाकर मुनाफा कमा सकें. अचानक कड़कनाथ मुर्गे के चूजों की डिमांड बढ़ने को लेकर झाबुआ की शासकीय कड़कनाथ हेचरी के प्रमुख बी एस दिवाकर कहते हैं कि कड़कनाथ की अधिक खपत ठंड में होती है. लेकिन इस बार चूंकि ठंड में ही चुनाव का सीजन है तो कड़कनाथ पालकों को अच्छा खासा मुनाफा होगा. इससे किसानों की आमदनी बढ़ती है.
दिवाकर कहते हैं कि बीते एक-डेढ़ महीने में ही 10 हजार से अधिक चूजे लोग ले जा चुके हैं. झाबुआ में कड़कनाथ सेंटर कृषि विकास केंद्र भी है. इस केंद्र के प्रमुख डॉक्टर जगदीश मौर्य भी कहते हैं कि ठंड और ऊपर से आने वाले चुनाव के चलते कड़कनाथ के चूजों का उठाव हो रहा है. कड़कनाथ मुर्गा अपने औषधीय गुणों और इम्युनिटी बूस्टर के रूप में जाना जाता है. यह फैट और कोलेस्ट्रॉल से मुक्त होता है और ताकत वाले तत्वों से भरपूर होता है. साथ में इसका स्वाद भी लाजवाब होता है. इसलिए इसकी डिमांड काफी है.
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कड़कनाथ पालक जितेंद्र डामोर कहते हैं कि वे अभी चूजे लाए हैं. नवंबर-दिसंबर तक ये बड़े हो जाएंगे और बिकने लायक भी. उसी दौर में चुनाव आ रहा है तो इससे अच्छा मुनाफा होगा. जितेंद्र डामोर कहते हैं कि हम इस वक्त जितने चूजे अधिक पालेंगे, उतना ही मुनाफा हमें होगा. इसी तरह के किसान प्रवीण मैडा कहते हैं कि कड़कनाथ की ठंड में डिमांड अच्छी आती है और इस बार तो चुनाव भी है. लिहाजा हमें अच्छा मुनाफा होना है. कड़कनाथ काफी महंगा बिक सकता है.
विधानसभा चुनाव में सियासत और उससे जुड़े लोग चुनाव अभियान में शिरकत करने झाबुआ आते हैं. चूंकि झाबुआ का कड़कनाथ विश्व प्रसिद्ध है, लिहाजा झाबुआ के कड़कनाथ मुर्गे को खाने की इच्छा इसकी मांग और कीमत बढ़ा देती है. इसलिए मांसाहारी लोग झाबुआ आने पर इसे खाने की इच्छा रखते हैं. कांग्रेस के संभागीय प्रवक्ता साबिर फिटवेल कहते हैं कि सभी राजनीतिक दलों से जुड़े शौकीन लोग झाबुआ आने पर कड़कनाथ मुर्गा खाने की इच्छा रखते हैं. इसलिए यह चुनाव के समय महंगा हो जाता है.
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साबिर फिटवेल कहते हैं कि चुनाव नजदीक आने पर यह दो हजार रुपये प्रति नग बिकता है. यही वजह है कि कड़कनाथ मुर्गे की चुनाव में शामत आने वाली है क्योंकि बिना कड़कनाथ के तड़के के शायद चुनाव पूरा नहीं होगा. लेकिन इस तड़के से झाबुआ के कड़कनाथ पालकों की जिंदगी गुलजार होने वाली है.
झाबुआ में कड़कनाथ सेंटर कृषि विकास केंद्र के प्रमुख जगदीश मौर्य कहते हैं, कड़कनाथ के चूजे साढ़े तीन महीने में एक किलो के लगभग हो जाएंगे और जो अभी 600 रुपये में बिक रहा है, वह 800 रुपये से एक हजार रुपये में बिकने लगेगा. विधानसभा चुनाव आने वाले हैं. उसमें बाहर के अतिथि आएंगे, भारतीय जनता पार्टी के नेता हों या कांग्रेस के, उनकी कड़कनाथ मुर्गे की मांग रहती है. चुनाव में मुर्गों की मांग तेजी से बढ़ती है जिसके अनुपात में पूर्ति नहीं हो पाती है. सामान्य दिनों में कड़कनाथ मुर्गा जो 500-600 रुपये में बिकता है, वह 1500 से 2000 रुपये में बिकने लगता है.(चंद्रभान सिंह भदौरिया की रिपोर्ट)