Beat the Heat : कंक्रीट के जंगलों का कमाल, शहरीकरण ने बढ़ाई 60 फीसदी तपिश, गांव भी हुए बेहाल

Beat the Heat : कंक्रीट के जंगलों का कमाल, शहरीकरण ने बढ़ाई 60 फीसदी तपिश, गांव भी हुए बेहाल

Global Warming के इस दौर में तपती धरती अपना रौद्र रूप दिखा रही है. रेगिस्तान की रेत में पापड़ सेंकने से लेकर बुंदेलखंड में गर्मी का 132 साल का रिकॉर्ड टूटने तक की तस्वीरें रोजाना सामने आ रही हैं. इन हालात के कारणों पर रोशनी डालने वाली IIT की रिपोर्ट में शहरीकरण को इस दशा के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है.

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Beat the Heat : कंक्रीट के जंगलों का कमाल, शहरीकरण ने बढ़ाई 60 फीसदी तपिश, गांव भी हुए बेहालशहरीकरण से बढ़ रही गर्मी, असर हो रहा फसलों को भी (सांकेतिक फोटो)

देश के अधिकांश इलाकों में इस समय गर्मी का कहर टूट रहा है. गर्मी की तपिश से हिमाचल प्रदेश की हसीन सर्द वादियां भी हलकान हैं. कड़ाके की ठंड, बेहिसाब बारिश और झुलसा देने वाली गर्मी जैसी Extreme Weather Condition के लिए वैज्ञानिक, Climate Change को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. वहीं, बड़ा सवाल यह है कि जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार कौन है. धरती का तापमान बढ़ाने वाले कारणों से जुड़े इस सवाल का जवाब देश के अग्रणी प्रौद्योगिकी संस्थान IIT की रिपोर्ट में दिया गया है. आईआईटी भुवनेश्वर की रिपोर्ट के अनुसार धरती का तापमान संतुलित रखने की जिम्मेदारी निभाने वाले पेड़ों की जगह कंक्रीट के जंगल बनाने के कारण ताप वृद्ध‍ि हो रही है. इस स्थिति के लिए अनियोजित विकास के कारण हो रहे अनियंत्रित शहरीकरण को जिम्मेदार ठहराया गया. इसी का नतीजा है कि बुंदेलखंड जैसे इलाकों में गर्मी 100 साल के रिकॉर्ड को ध्वस्त कर रही है. इसका पहला असर जैव जगत को गति देने वाले जल संतुलन पर पड़ रहा है और इस स्थ‍िति से सर्वाध‍िक प्रभावित होने वाला तबका किसान हैं.

क्या कही है रिपोर्ट

आईआईटी के शोधकर्ता वी विनोज और सौम्या सत्यकांत सेठी ने जलवायु परिवर्तन के कारण एवं प्रभावों पर अध्ययन किया है. उनकी अध्ययन रिपोर्ट हाल ही में अंतरराष्ट्रीय जर्नल नेचर सिटीज में प्रकाशित हुई हैं. इसके अनुसार भारत में भीषण गर्मी बढ़ाने में Urbanisation का दारोमदार 60 फसदी तक पाया गया है.

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शोध में शामिल शहरों का तापमान बढ़ाने में शह‍रीकरण के सर्वाध‍िक योगदान वाले 4 शहरों में जबलपुर, जमशेदपुर, गोरखपुर और आसनसोल शामिल हैं. इन शहरों का तापमान बढ़ाने में शहरीकरण 100 फीसदी तक जिम्मेदार माना गया है. वहीं, मेगलौर, श्रीनगर और भागलपुर शहर में यह स्तर 95 से 97 फीसदी पाया गया है. भुवनेश्वर, कटक, मुजफ्फरपुर और देहरादून की ताप वृद्धि में श‍हरीकरण का योगदान 80 से 90 फीसदी पाया गया है. इतना ही नहीं, हरिद्वार, कोटा, जोधपुर और भावनगर सहित कुल 11 शहर ऐसे भी हैं, जहां ताप वृद्धि में शहरीकरण की भूमिका शून्य पाई गई है.

सिकुड़ रहे पेड़ और पानी के स्रोत

रिपोर्ट के अनुसार शहरीकरण की प्रक्रिया में हरित क्षेत्र की जगह ले रहे कंक्रीट के जंगल, carbon emission में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं. इतना ही नहीं पेड़ों से मिलने वाली शीतल छाया की ठंडक का विकल्प अब एयर कंडीशनर बना है. इससे भी ताप वृद्धि में इजाफा हो रहा है.

शहरों के विस्तार की वजह से अब गांव की शहरों से दूरी कम हुई है. इसलिए शहरों के बढ़ते तापमान का असर अब गांवों में भी पहुंच गया है. साथ ही ताप संतुलन में अहम भूमिका निभाने वाले Water Bodies का भी समाप्त होना, इस समस्या के मूल कारणों में शुमार है.

रिपोर्ट में जंगल और जल स्रोतों के साथ खेती के सिमटने के पीछे सरकारी नीतियों को जिम्मेदार ठहराया गया है. इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि विकास के नाम पर Land Use में आसानी होने वाला बदलाव ही शहरीकरण के लिए जिम्मेदार है. इसकी वजह से ही प्रकृति में ताप संतुलन बनाए रखने वाले जंगल, नदी, झील और पहाड़ों की जगह कंक्रीट के जंगल ले रहे हैं. यह स्थ‍िति ही अतिरिक्त गर्मी को पैदा कर रही है. रिपोर्ट के अनुसार इस स्थिति को महज जलवायु परिवर्तन से जोड़ कर देखना ठीक नहीं है, बल्कि कथित विकास के नाम पर संचालित हो रही गतिविधियां जलवायु परिवर्तन का कारण हैं.

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बुंदेलखंड बना ताप वृद्धि का नमूना

आईआईटी की इस रिपोर्ट के बरक्स मौसम विभाग के ताजा आंकड़े हालात की गंभीरता को उजागर करते हैं. भीषण गर्मी के लिए मशहूर राजस्थान को यूपी और एमपी में बुंदेलखंड का इलाका गर्मी के मामले में खुली चुनौती दे रहा है. महज दो दशक पहले तक बेहद हरा भरा रहा बुंदेलखंड का इलाका विकास के नाम पर कंक्रीट के जंगल में तेजी से तब्दील हुआ है.

इसका असर पिछले कुछ सालों में यहां जल संकट और ताप वृद्धि के रूप में देखा जा सकता है. इस इलाके में पानी के बड़े जलस्रोत तेजी से खत्म हुए हैं, साथ ही Green Cover भी बहुत तेजी से घटा है. बुंदेलखंड में तापमान बढ़ने के कारण पानी के वाष्पित होने की दर बढ़ रही है. इसके परिणामस्वरूप इस इलाके में बड़े बांधों की उपलब्धता होने के बावजूद पानी का संकट साल दर साल गहराता जा रहा है.

मौसम विभाग के मुताबिक पिछले कुछ दिनों से पड़ रही भीषण गर्मी ने बुंदेलखंड में 100 साल से ज्यादा समय का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. पिछले कुछ दिनों से देश में सबसे ज्यादा तापमान राजस्थान के फलोदी में 49 डिग्री से. से ज्यादा दर्ज किया जा रहा है. इसका मुकाबला बुंदेलखंड के तमाम शहर डटकर करते नजर आ रहे हैं. सोमवार को झांसी में तापमान ने 132 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया. झांसी का तापमान 48.1 डिग्री से. दर्ज किया गया. यह दूसरा मौका है जब तापमान 48 डिग्री से. के स्तर को पार कर गया हो. इससे पहले 1984 में झांसी का तापमान 48.2 डिग्री से. तक गया था.

इसके अलावा झांसी से सटे एमपी में निवाड़ी जिले का तापमान सोमवार को 48.7 डिग्री से. पहुंच गया. इलाके के अन्य शहरों की बात करें तो खजुराहो में 47.2 और ग्वालियर में 46.7 डिग्री से. तापमान रहा. मौसम विभाग के मुताबिक अगले कुछ दिनों तक भीषण गर्मी से इन इलाकों को कोई राहत मिलने की उम्मीद नहीं है.

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