UP Weather : यूपी में इस साल भी असमान है बारिश का पैटर्न, किसान रहें सचेत

UP Weather : यूपी में इस साल भी असमान है बारिश का पैटर्न, किसान रहें सचेत

इस समय यूपी सहित पूरे देश में South West Monsoon की बारिश का दौर चल रहा है. यूपी में बारिश का पैटर्न पिछले सालों की ही तरह इस साल भी Climate Change के असर से अछूता नहीं है. मॉनसून के असमान वितरण के कारण एक ही इलाके में कहीं बारिश, कहीं सूखा की स्थिति है. ऐसे में यूपी सरकार के वैज्ञानिकों ने किसानों को खरीफ सीजन की फसलों के लिए एडवाइजरी जारी की है.

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UP Weather : यूपी में इस साल भी असमान है बारिश का पैटर्न, किसान रहें सचेतयूपी कृष‍ि अनुसंधान प‍रिषद के डीजी डाॅ संजय सिंह की अध्यक्षता में हुई वैज्ञानिकों की बैठक (फोटो: साभार, यूपी सरकार)

मॉनसून की बारिश के असमान वितरण का सीधा असर Kharif Crops पर पड़ता है. जलवायु परिवर्तन के कारण Extreme Weather Condition का असर अब हर मौसम में दिख रहा है. यह असर भीषण सर्दी, प्रचंड गर्मी और कुछ इलाकों में मूसलाधार बारिश एवं कहीं सूखा के रूप में दिख रहा है. इसके फलस्वरूप हर सीजन की फसलें भी बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं. यह संकट साल दर साल गहराता जा रहा है. इसके मद्देनजर यूपी की योगी सरकार द्वारा मौसम एवं कृष‍ि वैज्ञानिकों के गठित समूह की ओर से बदलते मौसम के प्रभावों के प्रति किसानों को नियमित रूप से आगाह किया जा रहा है. यूपी सरकार के Crop Weather Watch Group ने जुलाई और अगस्त में प्रदेश के तमाम इलाकों में हो रही बारिश के पैटर्न के आधार पर किसानों के लिए परामर्श जारी किया है. जिससे किसान खरीफ सीजन की फसलों को मौसम के नकारात्मक प्रभावों से बचा सकें.

ऐसा रहेगा मौसम का मिजाज

मौसम विभाग और कृष‍ि विभाग के विशेषज्ञों की मौजूदगी वाले क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप ने यूपी के मौसम को लेकर अगले दो सप्ताह के पूर्वानुमान के आधार पर किसानों के लिए परामर्श जारी किया है. यह बैठक यूपी कृष‍ि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. संजय सिं‍ह की अध्यक्षता में हुई.

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ग्रुप ने 30 अगस्त से 05 सितंबर की अवधि में मौसम के पूर्वानुमान का जिक्र करते हुए कहा है कि प्रदेश के विन्ध्य एवं पूर्वी मैदानी क्षेत्र के अधिकांश भाग तथा उससे सटे मध्य मैदानी एवं उत्तर पूर्वी मैदानी क्षेत्र के कुछ भाग में सामान्य से कम वर्षा होने का अनुमान है. इसके अलावा राज्य के अन्य कृषि जलवायु अंचलों में सामान्य अथवा सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है.

किसानों को सलाह

मौसम विभाग के पूर्वानुमान को देखते हुए ग्रुप ने खरीफ सीजन की फसलों पर पड़ने वाले प्रभावों के मद्देनजर किसानों को परामर्श जारी किया है. इसमें प्रदेश के बड़े इलाके में बोई गई धान की उपज को लेकर किसानों को रोग प्रकोप से बचने की सलाह दी गई है. इसमें कहा गया है कि मौसम की मौजूदा परिस्थितियों में धान की फसल पर 'शीथ ब्लाइट' का प्रकोप हो सकता है. इसका प्रकोप दिखाई देने पर धान के किसान हेक्साकोनाजोल 5.0 ईसी दवा की 1.0 ली. मात्रा काे 500-750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें.

इसके अलावा मक्का के किसान फसल में 'फाल आर्मी वर्म' का प्रकोप होने पर फसल को 10 से 20 प्रतिशत नुकसान होने पर क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5% एससी दवा की  0.4 मिली प्रति लीटर की दर से पानी में मिलाकर इस्तेमाल करें. इसके अलावा स्पाइनोसेड 0.3 मिली प्रति लीटर पानी अथवा थायामेथोक्साम 12.6% दवा का भी घोल बनाकर छिड़काव कर सकते हैं.

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मूंगफली पर भी है असर

पूर्वी यूपी में बाढ़ या लगातार हो रही वर्षा के कारण अरहर की बुवाई होने में देर हो रही है. देर से बुवाई होने की दशा ग्रुप ने किसानों को सलाह दी है कि सितंबर के पहले पखवाड़े में अरहर की बहार एवं पीडीए-11 किस्म की बुवाई की जा सकती है.

इसके अलावा मूंगफली में सफेद गिडार के प्रकोप को रोकने के लिए खड़ी फसल में क्लोरपाईरीफाॅस 20 ईसी दवा को 4 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से जड़ों में अथवा सिंचाई के माध्यम से डालने को कहा गया है. इस मौसम में म मूंगफली की फसल में टिक्का रोग या पत्र दाग का प्रकोप भी होता है.

ऐसी स्थ‍िति में मैंकोजेब अथवा कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यूपी दवा को 225 ग्राम प्रति हेक्टेयर या जिनेब 75 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण को 2.5 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से अथवा जीरम 80 प्रतिशत 2 किग्रा प्रति हे. की दर से इस्तेमाल कर सकते हैं. इन दवाओं का 2 से 3 बार छिड़काव 500 से 600 लीटर पानी मे घोलकर 10 दिन के अंतराल पर करना है.

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