Crop Damage: फसलों पर मौसम की मार का पड़ रहा बुरा असर, किसान रहें सतर्क, करें ये सब उपाय

Crop Damage: फसलों पर मौसम की मार का पड़ रहा बुरा असर, किसान रहें सतर्क, करें ये सब उपाय

यूपी सहित समूचे उत्तर भारत में इन दिनों सर्दी का सितम जारी है. इससे आम जनजीवन जिस हद तक प्रभावित है, उससे कहीं ज्यादा असर फसलों पर भी पड़ रहा है. यूपी सरकार की Agriculture Research Council ने सूबे के किसानों को मौसम की मार से Crop Safety के लिए परामर्श जारी किया है.

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Crop Damage: फसलों पर मौसम की मार का पड़ रहा बुरा असर, किसान रहें सतर्क, करें ये सब उपायफसलों को पाला से बचाना है तो तुरंत करें यह काम

यूपी सहित अन्य राज्यों में इन दिनों रबी की फसलें बढ़त पर हैं. साथ ही बागवानी फसलों के लिहाज से आलू एवं अन्य सब्जियों की फसल को मौसम की मार से बचाने का संकट किसानों के लिए मुसीबत का सबब साबित हो रहा है. मौसम विभाग ने यूपी के लगभग सभी इलाकों में पिछले एक पखवाड़े से पड़ रही कड़ाके की ठंड का दौर अभी कुछ दिन और जारी रहने का अनुमान व्यक्त किया है. विभाग ने अगले दो तीन दिन राज्य में तापमान सामान्य से कम रहने, घना कोहरा होने और छिटपुट बारिश की संभावना व्यक्त की है. ऐसे में यूपी कृष‍ि अनुसंधान परिषद ने किसानों को Extreme Weather Condition से फसलों को बचाने के उपाय सुझाए हैं.

मौसम का है ये मिजाज

यूपी सरकार ने मौसम विभाग और कृष‍ि अनुसंधान परिषद के विशेषज्ञों की संयुक्त टीम के रूप में Crop Weather Watch Group मौसम के फसलों पर पड़ने वाले असर के बारे में सतत निगरानी करके किसानों को नियमित तौर पर उचित परामर्श जारी करता है. परिषद के अध्यक्ष डॉ संजय सिंह की अध्यक्षता में हुई ग्रुप की बैठक के बाद किसानों को जारी परामर्श में इस सप्ताह मौसम की स्थिति यथावत रहने की आशंका जाहिर करते फसलों की खास देखभाल करने की सलाह दी गई है.

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फसलों पर असर

इन दिनों रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं और सरसों की देर से बोई गई उपज पर मौसम की सबसे ज्यादा मार पड़ रही है. ऐसे में कृष‍ि वैज्ञानिकों ने यूपी के किसानों को सुझाव दिया है कि फसल में यदि जिंक की दिखे तो जिंक सल्फेट का प्रयोग खड़ी फसल में संस्तुत मात्रा के अनुसार करें. इसके अलावा तिलहनी फसलों में सरसों पर माहू का प्रकोप हो सकता है. इसके लिए किसानों से माहू रोधी दवा का उपचार करने की सलाह दी है. ग्रुप ने यूपी के उत्तर पश्चिमी इलाकों में पाला पड़ने की संभावना को देखते हुए फसलों की हल्की सिंचाई करने को कहा है.

तिलहनी फसलों में अल्टरनेरिया, पत्ती धब्बा, सफेद गेरुई एवं तुलासिता रोग के नियंत्रण हेतु मैंकोजेब 75 डब्ल्यूपी की 2.0 किग्रा अथवा जिनेब 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी की 2.0 किग्रा अथवा जिरम 80 प्रतिशत डब्ल्यूपी की 2.0 किग्रा अथवा कापर आक्सीक्लोराइड 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी की 3.0 किग्रा. मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 600 से 750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने को कहा गया है.

दलहनी फसलों में सर्द मौसम को देखते हुए मटर में फली छेदक या फली बेधक कीट के प्रकोप हो रहा है. इस पर नियंत्रण हेतु फूल एवं फलियां बनते समय 5 फेरोमोन ट्रैप लगाने को कहा गया है. इसके अलावा नीम के बीज आर्क (5 प्रतिशत) का पानी के साथ छिड़काव किया जा सकता है. मटर में बुकनी रोग के नियंत्रण हेतु किसानों को घुलनशील गंधक 80 प्रतिशत 2 किग्रा अथवा ट्राई डेमेफॉन 25 प्रतिशत डब्ल्यूपी 250 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से लगभग 500 से 600 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए. डिनोकेप कैराथेन कैलिक्सिन 1 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं.

सब्जियों में इस समय यूपी के किसान आलू की उपज व्यापक पैमाने पर लेते हैं. आलू की पछेती फसलों में झुलसा रोग का प्रकोप होने लगा है. इसके लिये मौसम अनुकूल उपचार करना पड़ेगा. ग्रुप ने कहा कि जायद सीजन में प्याज को बोने के लिए यह समय उपयुक्त है. जिन किसानों ने अभी तक प्याज की अगेती फसल की रोपाई नहीं की है, वे यथाशीघ्र रोपाई कर लें. जायद में अगेती सब्जियों की खेती के लिये Low Tunnel अथवा Polyhouse में पौध तैयार करना उपयुक्त रहेगा.

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पशुपालक भी दें ध्यान

ग्रुप ने पशुपालन से जुड़े किसानों को सुझाव दिया है कि मौसम की इन प्रतिकूल परिस्थितियों में पशुधन की भी खास देखभाल करने की जरूरत है. इसे देखते हुए पशुओं में सभी तरह के राेगाें का टीकाकरण विभाग द्वारा मुक्त कराया जा रहा है. पशुपालक निःशुल्क टीकाकरण अवश्य कराएं. पशुओं काे कड़ाके की सर्दी से बचाने के लिये सुबह शाम पशुओं पर झूल डालें तथा रात में पशुओं को खुले में बांधने से बचें.

मछली पालन कर रहे किसानों को सलाह दी गई है कि तापमान कम होने के कारण यदि पंगेशियस मछली अभी भी तालाब में हो तो, उसे यथाशीघ्र बेच दें. ऐसा नहीं करने पर इस किस्म की मछलियों के मरने का खतरा है.

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