भारत में मौसमी गतिविधि ला-नीना एक्टिव होने वाली है. अमेरिकी मौसम एजेंसी क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर (CPC) ने भारत में भारी बारिश और बाढ़ का कारण बनने वाली ला-नीना मौसमी प्रणाली की संभावना को जुलाई-सितंबर के दौरान 69 प्रतिशत से घटाकर 65 प्रतिशत कर दिया है. हालांकि, अमेरिकी मौसम एजेंसी ने कहा है कि 85 प्रतिशत संभावना है कि ला-नीना 2024-25 की सर्दियों तक बनी रहेगी. ऐसा इसलिए है क्योंकि मई के बाद से समुद्र और महासागर के पानी के ठंडा होने की गति धीमी हो गई है, जिसके कारण ला-नीना के एक्टिव होने में कमी आई है. हालांकि, CPC की पूर्वानुमान टीम अभी भी जुलाई-सितंबर के दौरान ला नीना के एक्टिव होने के पक्ष में है.
गुरुवार को अपनी "अंतिम अल-नीनो सलाह और ला नीना वॉच" में अमेरिकी मौसम एजेंसी ने कहा, "टीम अभी भी गर्मियों के महीनों के दौरान किसी समय ला-नीना के उभरने के पक्ष में है क्योंकि लगातार महासागर का तापमान और मौसमी सर्कुलेशन में परिवर्तन देखा जा रहा है.
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अमेरिकी मौसम एजेंसी ने अल-नीनो के खत्म होने की भी पुष्टि की थी. उसी अल-नीनो के कारण एशिया के कई हिस्सों में सूखा पड़ा था, जिसमें भारत भी शामिल है, जहां देश का 25 प्रतिशत हिस्सा सूखे की चपेट में था. अमेरिकी एजेंसी ने कहा, "ENSO (एल नीनो-साउथ ओसिलेशन)अभी न्यूट्रल स्थिति में है. पिछले महीने से ही ऐसी स्थिति दर्ज की जा रही है."
अल-नीनो के बारे में दी गई ये जानकारी ऑस्ट्रेलिया के मौसम विज्ञान ब्यूरो के पूर्वानुमान के अनुसार है, जिसमें पाया गया कि 7 में से चार मॉडल बताते हैं कि SST (समुद्र की सतह का तापमान) तटस्थ ENSO स्तरों पर रहने की संभावना है, जबकि शेष 3 मॉडल अगस्त से SST के ला नीना स्तर तक ठंडा होने की संभावना दिखा रहे हैं. ऑस्ट्रेलियाई मौसम एजेंसी ने कहा कि ला नीना 2024 के अंत में एक्टिव हो सकता है. अगर एसएसटी जल्दी ठंडा नहीं होगा तो ला-नीना में देरी होगी. अगर यह जल्द ठंडा हो जाता है तो ला-नीना भी जल्द एक्टिव हो सकता है.
बात करें भारत में ला-नीना के असर की तो, सितंबर-नवंबर के दौरान ला-नीना एक्टिव होने से देश में अच्छी बारिश दर्ज की जाएगी. इससे पहले अल-नीनो का प्रकोप देखा जा रहा था. पिछले साल भारत में अल-नीनो का प्रभाव बहुत अधिक रहा जिससे मॉनसून में भी कई राज्यों में सूखे जैसे हालात रहे. इसका प्रभाव अभी तक देखा जा रहा है. कई राज्यों में बांधों में पानी का स्तर नीचे चला गया है क्योंकि बीते मॉनसून में बारिश अच्छी नहीं हुई.
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