ये मावठा क्या है जिससे फसलों को प्राकृतिक नाइट्रोजन मिलता है, खाद का बचता है खर्च

ये मावठा क्या है जिससे फसलों को प्राकृतिक नाइट्रोजन मिलता है, खाद का बचता है खर्च

किसानों के लिए इस बार सबसे अच्छी बात यह है कि मौजूदा मौसम गेहूं की फसल के लिए बिल्कुल बेहतर है. वहीं देश में सबसे ज्यादा रकबा गेहूं का ही है, इसलिए किसानों के लिए यह राहत भरी खबर है.

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ये मावठा क्या है जिससे फसलों को प्राकृतिक नाइट्रोजन मिलता है, खाद का बचता है खर्चये मावठा क्या है जिससे फसलों को प्राकृतिक नाइट्रोजन मिलता है

देश के अलग-अलग राज्यों में लगातार बदलता मौसम कई फसलों के लिए अनुकूल है. मावठा गिरने और तापमान गिरने से जहां गेहूं को बहुत फायदा होगा. वहीं बादलों के कारण दलहनी फसलों में इल्लियां लगने की आशंका है. यहां मावठा का अर्थ ठंड के दिनों में होने वाली हल्की बारिश या बारिश की फुहार से है जिससे रबी फसलों को बहुत फायदा होता है. इससे फसलों को सिंचाई का पानी मिलता है, साथ ही पाले से सुरक्षा भी मिलती है. मावठा अधिकांश फसलों के लिए उपयोगी है. 

देश के कई इलाकों में इस सीजन में पहली बार मावठा बरसा है, जो गेहूं की फसल के लिए अमृत के समान है. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक बारिश होने के साथ-साथ तापमान में भी खासी गिरावट गेहूं के लिए अच्छी साबित हो रही है. साथ ही गन्ने की फसल के साथ ही दलहनी फसलों के लिए भी यह मौसम अच्छा है. वहीं मावठे से फसलों को प्राकृतिक नाइट्रोजन भी मिलता है और किसानों के खाद का खर्च भी बचता है.  

गेहूं के लिए बेहतर है तापमान

किसानों के लिए इस बार सबसे अच्छी बात यह है कि मौजूदा मौसम गेहूं की फसल के लिए बिल्कुल बेहतर है. वहीं देश में सबसे ज्यादा रकबा गेहूं का ही है, इसलिए किसानों के लिए यह राहत भरी खबर है. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो गेहूं की वृद्धि के लिए 5-6 डिग्री सेल्सियस से लेकर 10-12 डिग्री सेल्सियस का तापमान सबसे अच्छा होता है. पिछले तीन-चार दिनों से कई राज्यों में न्यूनतम तापमान लगभग 11-12 डिग्री पर ही बना हुआ है. जबकि अधिकतम तापमान में भी खासी कमी आई है. ऐसे में गर्मी का प्रकोप कम हुआ है और इसका सीधा फायदा गेहूं के अच्छे उत्पादन के तौर पर होगा.

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मावठा से मिलता है नाइट्रोजन

देश के अधिकांश जगहों पर मावठा बरसा है. कई हिस्सों में तो महज तेज बूंदाबांदी ही हुई पर फिर भी आसमान का यह पानी फसलों के लिए अमृत सा सिद्ध हो रहा है. बरसात की बूंदों के साथ फसलों को प्राकृतिक नाइट्रोजन भी मिल जाता है. यह नाइट्रोजन फसलों के लिए प्राकृतिक खाद का काम करता है. विशेषकर गेहूं की वृद्धि अच्छी होती है. मावठा गिरने से फसलों में यूरिया डालने की जरूरत नहीं पड़ती है. अगर बात करें मावठा कि तो रबी की बुवाई के बाद जब कड़ाके की ठंड पड़ती है, उस दौरान होने वाली हल्की बारिश को मावठा कहा जाता है. यह गेहूं की फसल के लिए लाभकारी होता है. 

खाद का बचता है खर्च 

मावठा गिरने से गेहूं की फसलों में वृद्धि होगी. साथ ही चना, मसूर, गन्ने की फसल को भी फायदा होगा. पानी गिरने से फसलों को सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती है. ऐसे में किसानों का बिजली बिल और खाद का खर्च बच जाता है. मौसम विभाग के मुताबिक करीब तीन दिनों तक बादलों और बारिश वाला मौसम बना रहेगा. कृषि विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार करीब 07 दिनों तक बादल छाए रहने और बारिश होने की संभावना है.

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