राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लोग आजकल ठंड और शीतलहर के साथ ही प्रदूषण का भी कहर झेल रहे हैं. राजधानी में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. यहां की हवा बेहद खराब श्रेणी में जा चुकी है. वायु प्रदूषण का आलम यह है कि जितना प्रदूषण पराली टाइम (अक्तूबर का आखिरी सप्ताह, उस दौरान पराली का धुंआ और दीपावली के पटाखों का धुंआ मिलकर प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण बनता है) दिल्ली में नहीं था. उससे अधिक प्रदूषण नए साल के पहले हफ्ते रहा है. दिल्ली की ये बिगड़ती हवा लोगों की सेहत के लिए खतरनाक साबित हो रही है. लोगों को प्रदूषण संबंधी कई तरह की समस्याएं हो रही हैं.
ये भी पढ़ें - Garlic Price: सिर्फ 2 से 5 रुपये किलो रह गया लहसुन का भाव, आखिर क्या करें किसान?
केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में दीपावली के अगले (पटाखे जलाने के बाद) दिन जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 312 रहा था, जिसे बेहद खराब श्रेणी में रखा जाता है. वहीं नए साल के पहले दिन वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 357 रहा. जो दीपावली के अगले दिन से अधिक है.
दिल्ली में दीपावली के आसपास भी वायु प्रदूषण देखने को मिला था, लेकिन दीपावली के हफ्ते दिल्ली की वायु गुणवत्ता सिर्फ दो दिन ही खराब रही थी. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के मुताबिक, 20 अक्तूबर को वायु गुणवत्ता सूचकांक 232 (खराब), 21 अक्तूबर को वायु गुणवत्ता सूचकांक 262 (खराब), 22 अक्तूबर को वायु गुणवत्ता सूचकांक 265 (खराब), 23 अक्तूबर को वायु गुणवत्ता सूचकांक 259 (खराब), 24 अक्तूबर वायु गुणवत्ता सूचकांक 312 (बेहद खराब), 25 अक्तूबर को वायु गुणवत्ता सूचकांक 302 (बेहद खराब), जबकि 26 अक्तूबर को वायु गुणवत्ता सूचकांक 271 (खराब) रहा था.
जनवरी के पहले सप्ताह में कुल 6 दिन दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक बेहद खराब श्रेणी के दर्ज किया है. सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक, 1 जनवरी को वायु गुणवत्ता सूचकांक 259 (खराब), 2 जनवरी को वायु गुणवत्ता सूचकांक 385 (बेहद खराब), 3 जनवरी को वायु गुणवत्ता सूचकांक 385 (बेहद खराब), 4 जनवरी को वायु गुणवत्ता सूचकांक 343 (बेहद खराब), 5 जनवरी को वायु गुणवत्ता सूचकांक 340 (बेहद खराब), 6 जनवरी को वायु गुणवत्ता सूचकांक 349 (बेहद खराब) और 7 जनवरी को वायु गुणवत्ता सूचकांक 343 (बेहद खराब) रहा है.
दिल्ली में ठंड बढ़ने के साथ ही प्रदूषण बढ़ा है. असल में ठंड वायुमंडल में फैले प्रदूषण के कणों के लिए मुफीद साबित हो रही है, जो ठंड और नमी के संपर्क में आने पर गैस चैंबर में बदल गए हैं, वहीं हवा की गति धीमी होने के चलते प्रदूषण के कणों का जमाव हो गया है. इस वजह से प्रदूषण बढ़ा है.
ये भी पढ़ें- मोटे अनाज की ये Dosa Recipe है सेहत के लिए बेहद खास, देखें पूरा वीडियो
मोटापा-शुगर वालों के लिए नेचुरल स्वीटनर है 'मीठी तुलसी', ऐसे होती है इसकी खेती
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today