देश में 150 बांधों के जलस्तर में भारी गिरावट, अब मॉनसून की बारिश ही अंतिम सहारा

देश में 150 बांधों के जलस्तर में भारी गिरावट, अब मॉनसून की बारिश ही अंतिम सहारा

पिछले साल जून में अल-नीनो के एक्टिव होने से बारिश की घोर कमी देखी गई थी. अल-नीनो की वजह से पूर्वोत्तर और दक्षिण पश्चिम मॉनसून की बारिश में भारी गिरावट रही. इसकी वजह से देश के बांधों में पानी का स्तर तेजी से गिर गया. केंद्रीय जल आयोग का बुलेटिन बताता है कि देश के 150 प्रमुख बांधों में पूरी क्षमता का 25 परसेंट पानी बच गया है.

Advertisement
देश में 150 बांधों के जलस्तर में भारी गिरावट, अब मॉनसून की बारिश ही अंतिम सहारा बांधों के जलस्तर में भारी गिरावट (सांकेतिक तस्वीर)

देश के 150 प्रमुख बांधों में पानी का स्तर तेजी से गिरा है. इन बांधों में पूरी क्षमता का एक चौथाई पानी बचा हुआ है. लगातार 32 हफ्ते से इन बांधों में जलस्तर में गिरावट देखी जा रही है. केंद्रीय जल आयोग की एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है. पानी का स्तर गिरने से पेयजल और सिंचाई पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. उत्तरी और पश्चिमी भारत के बांधों में पानी की स्थिति और भी खराब है. जिन इलाकों में बारिश कम हुई है, वहां पानी की सबसे ज्यादा कमी है.

जल आयोग की रिपोर्ट बताती है कि उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्र के बांधों में 30 परसेंट तक पानी की कमी है. इसी तरह दक्षिणी क्षेत्र के बांधों में पानी का स्तर 15 परसेंट तक गिरा है. बांधों में पानी की यह स्थिति तब है जब देश के कई हिस्सों में प्री मॉनसून की बारिश ने दस्तक देना शुरू कर दिया है. इससे उम्मीद है कि आने वाले समय में जलस्तर में सुधार देखने को मिलेगा. मौसम विभाग ने इस साल सामान्य से भी ज्यादा मॉनसूनी बारिश की उम्मीद जताई है. इससे बांधों के पानी में सुधार देखा जा सकता है.

क्या है पानी का हाल?

पिछले साल जून में अल-नीनो के एक्टिव होने से बारिश की घोर कमी देखी गई थी. अल-नीनो की वजह से पूर्वोत्तर और दक्षिण पश्चिम मॉनसून की बारिश में भारी गिरावट रही. इसकी वजह से देश के बांधों में पानी का स्तर तेजी से गिर गया. केंद्रीय जल आयोग का बुलेटिन बताता है कि देश के 150 प्रमुख बांधों में पूरी क्षमता का 25 परसेंट पानी बच गया है. 

ये भी पढ़ें: गुजरात के डांग जिले में चक्रवात ने एक गांव को उजाड़ा, 80 से ज्यादा मकानों की छत उड़ी

इसमें चौंकाने वाली एक बात ये है कि बिहार में एक ही जलाशय है, लेकिन वह पूरी तरह से सूख चुका है. इसी तरह उत्तराखंड का नानक सागर बांध भी इस हफ्ते सूख गया है. इसके साथ ही दक्षिण भारत के पांच बांधों में भी पानी नहीं बचा है. रिपोर्ट बताती है कि दक्षिण भारत के 42 बांधों में 41 में 50 फीसद से कम पानी बचा है. आंध्र प्रदेश के बांधों में पूरी क्षमता का 6 परसेंट पानी ही बचा है. यह बड़े खतरे की ओर इशारा करता है. अगर मॉनसून की बारिश अच्छी नहीं हुई तो बांधों की हालत और भी खराब हो सकती है.

क्या कहती है रिपोर्ट?

रिपोर्ट बताती है कि पश्चिमी क्षेत्र के 49 और उत्तरी क्षेत्र के 10 बांधों में पानी का स्तर तेजी से गिरा है. मध्य भारत के 26 बांधों का यही हाल है जहां पानी बहुत कम बचा है. इससे पेयजल से लेकर बिजली और सिंचाई जैसी सुविधाओं पर बुरा असर देखा जा सकता है. हालांकि कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि एक अच्छी बारिश पूरी स्थिति को ठीक कर सकती है. बारिश अच्छी हो जाए तो बांधों में फिर से पानी भर जाएगा और कमी को दूर किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें: राजस्थान में 20 मई तक लू से नहीं मिलेगी राहत, मौसम विभाग ने दिया बड़ा अपडेट

 

POST A COMMENT