पहाड़ी राज्य उत्तराखंड भारी जलवायु बदलाव स्थितियों से गुजर रहा है. इस साल बीते जून माह में भयंकर गर्मी के बाद अब जुलाई महीने में मूसलाधार बारिश ने तबाही मचा दी है. मौसम के गंभीर हालात और तेजी से बदलती स्थितियों ने जिंदगी मुश्किल में कर दी है. जुलाई के शुरुआती 10 दिनों में सामान्य से दोगुनी बारिश से हालात बदतर हो गए हैं. वातावरण, धरती और समुद्र सब तेज गति से गर्म हो रहे हैं, जिसकी वजह से तापमान में बदलाव देखा जा रहा है. इसका असर उत्तराखंड में गंभीर मौसम स्थितियों के रूप में देखा जा रहा है. इसकी बड़ी वजह वन क्षेत्र में गिरावट को भी माना जा रहा है.
हिमालयी राज्य उत्तराखंड के लिए पिछले करीब दो माह का समय काफी कठिन रहा है. जून में अधिक तापमान का रिकार्ड टूटने से आम जनता भीषण गर्मी से परेशान रही तो अब जुलाई में अत्यधिक बारिश से प्रदेश में फ्लैश फ्लड और भूस्खलन जैसी आपदाएं देखी जा रही हैं. इसके पीछे मुख्य कारण है जलवायु परिवर्तन है. इससे धरती का तापमान अत्यधिक बढ़ रहा है जिससे गर्मी और लू तो अधिक होती ही है, बारिश भी असामान्य रूप से बहुत अधिक होती है जैसा कि इस समय उत्तराखंड में देखा जा रहा है.
10 जुलाई तक ही प्रदेश में 328.6 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है, जबकि मानसून में इस समय तक 295.4 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी. इस तरह उत्तराखंड में अब तक 11 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी है और आने वाले दिनों में यह ट्रेंड बना रह सकता है. वैज्ञानिकों के अनुसार उत्तराखंड में अत्यधिक बारिश और खतरनाक लू के लिए अधिक गर्मी यानी आर्द्रता (Humidity) जिम्मेदार है.
उत्तराखंड में जुलाई की शुरुआत बारिश के साथ हुई और दस दिन बीतते-बीतते हिमालयी राज्य में सामान्य औसत बारिश से दोगुनी बारिश हो चुकी है. 1 से 10 जुलाई तक उत्तराखंड में 239.1 मिलीमीटर बारिश हुई है. जबकि, सामान्य औसत के अनुसार इस अवधि में 118.6 मिलीमीटर बारिश होनी चाहिए थी. जाहिर है कि अब तक प्रदेश में 102 फीसदी अधिक बारिश हो चुकी है.
वर्तमान में उत्तराखंड के 13 जिले जुलाई में अत्यधिक बारिश का सामना कर चुके हैं जिससे जून में कम बारिश वाले इस प्रदेश में अब अतिरिक्त बारिश हो चुकी है. उत्तराखंड में जुलाई में सामान्य औसत वर्षा 417.8 मिमी होती है. बागेश्वर में सबसे अधिक 357.2 मिमी बारिश हुई है, जबकि सामान्य औसत के हिसाब से 77.7 मिमी ही होनी चाहिए थी. इस जिले में 1 से 9 जुलाई तक 360 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है. इसके बाद ऊधम सिंह नगर और चंपावत जिले आते हैं जहां क्रमशः 280 फीसदी और 272 फीसदी सामान्य से अधिक बारिश हुई है.
वातावरण, धरती और समुद्र सब तेज गति से गर्म हो रहे हैं. जितना तापमान बढ़ता है, वातावरण में नमी भी बढ़ती है. इसके चलते धरती से पानी के भाप बनने की प्रक्रिया भी तेज हुई है और हवा की क्षमता भी बढ़ी है जो अधिक बूंदों और भारी बारिश की वजह है. इन वजहों से कभी-कभी कम समय में अधिक बारिश की स्थिति बन जाती है
स्काईमेट वेदर के वाइस प्रेसीडेंट-मेटीरियोलाजी और क्लाईमेंट चेंज कहते हैं कि उत्तराखंड में अत्यधिक बारिश की वजह कई मानसूनी परिस्थितियों का मिलना है. उत्तरी पाकिस्तान और आसपास के इलाके में पश्चिमी विक्षोभ था, मध्य पाकिस्तान से कम दबाव वाला क्षेत्र बन रहा था. इनके साथ बंगाल की खाड़ी से आ रही पूर्वी हवा उत्तराखंड के वातावरण में नमी बढ़ा रही थी. इनके कारण घने बादल बने और भारी बारिश हुई. अत्यधिक बारिश का कारण क्लाईमेट चेंज है. दुनिया का तापमान बढ़ने के कारण वातावरण में नमी बढ़ी है. इससे घने बादल बनते हैं जो भारी बारिश कराते हैं. तापमान लगातार बढ़ने के कारण आने वाले समय में इस तरह की भारी बारिश होने की प्रवृत्ति बढ़ेगी. वहीं, वन क्षेत्र घटने के चलते भी जलवायु में बदलाव की वजह बन रहा है.
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