इस बार देर से एक्टिव हुआ ला-नीना, भारत के मौसम पर क्या होगा असर?

इस बार देर से एक्टिव हुआ ला-नीना, भारत के मौसम पर क्या होगा असर?

भारत के बारे में यहां की मौसम एजेंसी IMD पहले बता चुका है कि इस साल कड़ाके की ठंड पड़ेगी क्योंकि ला-नीना का प्रभाव देखा जाएगा. ला-नीना की वजह से प्रशांत क्षेत्र के महासागर का पानी ठंडा होगा जिससे क्लाइमेट चेंज का असर होगा. इसका असर भारत में भी दिख सकता है. आईएमडी ने 2 सितंबर, 2024 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि इस बार पूरे देश में कड़ाके की सर्दी पड़ेगी.

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इस बार देर से एक्टिव हुआ ला-नीना, भारत के मौसम पर क्या होगा असर?ला-नीना ने सर्दी का असर बढ़ाया

अमेरिकी संस्था नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन यानी NOAA ने बताया है कि ला-नीना एक्टिव हो चुका है. हालांकि यह ला-नीना कमजोर रहेगा और सामान्य की तुलना में कम दिनों तक एक्टिव रहेगा. इस ला-नीना के प्रभाव से दुनिया के कई हिस्सों में मौसम में बड़े बदलाव देखे जाएंगे. खासकर अमेरिका और उससे सटे देशों में. एशियाई देशों में भी इसका असर देखे जाने की संभावना है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तरी अमेरिका और कनाडा में अधिक ठंड पड़ेगी और सर्दियों के दौरान बारिश भी होगी. 

दूसरी ओर, ला-नीना की वजह से दक्षिण अमेरिकी क्षेत्रों में गर्मी पड़ेगी और सूखे की स्थिति पनपेगी. अटलांटिक के इलाके में इसी ला-नीना की वजह से तूफान चलने की संभावना प्रबल है.  हालांकि मौजूदा ला-नीना कुछ देर से आया, अनुमानित अवधि के बाद आया है, इसलिए इसमें तेजी दिखने की संभावना कम है. अब तक ठंड भी शुरू हो चुकी है, इसलिए प्रभाव बहुत अधिक दिखने की संभावना कम है. NOAA ने 9 जनवरी को अपने एक बयान में कहा है कि दिसंबर में ही ला-नीना की एक्टिविटी शुरू हो गई थी और इसके अप्रैल तक चलने की संभावना है.

ला-नीना का कैसा होगा असर?

मौसमी पैटर्न में ऐसा देखा जाता है कि गर्म अल-नीनो के बाद ठंडा ला-नीना हर दो से सात साल में एक्टिव होता है और इसकी एक्टिविटी एक साल तक जारी रहती है. इससे पहले 2023 और 2024 में अल-नीनो ने रिकॉर्ड गर्मी का प्रभाव दिखाया है. इसलिए रिसर्चर्स को उम्मीद है कि उस गंभीर अल-नीनो के बाद ला-नीना का साइकिल एक्टिव हो चुका है. रिसर्चर्स अभी इस सोच में पड़े हैं कि जब अल-नीनो इतना प्रभाव दिखा चुका है तो ला-नीना को आने में देरी क्यों हुई या अभी तक इसका प्रभाव क्यों नहीं देखा जा रहा है.

इससे पहले एनओएए ने बताया है कि फरवरी से अप्रैल तक ला-नीना के एक्टिव रहने का चांस 59 परसेंट है जबकि मार्च से मई तक 60 परसेंट संभावना इसके न्यूट्रल रहने की है. ला-नीना कब तक एक्टिव रहेगा, इसके बारे में एनओएए के प्रतिनिधि ने कहा कि इसका केवल अनुमान लगाया जा सकता है. यह कब तक चलेगा, उसके बारे में सही जानकारी देना असंभव है. 

IMD ने दिया पूर्वानुमान

भारत के बारे में यहां की मौसम एजेंसी IMD पहले बता चुका है कि इस साल कड़ाके की ठंड पड़ेगी क्योंकि ला-नीना का प्रभाव देखा जाएगा. ला-नीना की वजह से प्रशांत क्षेत्र के महासागर का पानी ठंडा होगा जिससे क्लाइमेट चेंज का असर होगा. इसका असर भारत में भी दिख सकता है. आईएमडी ने 2 सितंबर, 2024 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि इस बार पूरे देश में कड़ाके की सर्दी पड़ेगी. सामान्य तौर पर ला-नीना की एक्टिविटी अक्टूबर से फरवरी तक रहती है. लेकिन इस बार दिसंबर अंत में इसकी गतिविधियां शुरू हुई हैं.

 

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