Himachal News: कांगड़ा में दिसंबर में 85 फीसदी तक बारिश की कमी, चौपट होने की कगार पर गेहूं

Himachal News: कांगड़ा में दिसंबर में 85 फीसदी तक बारिश की कमी, चौपट होने की कगार पर गेहूं

दिसंबर 2023 में हिमाचल प्रदेश के सभी 12 जिलों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई, जबकि इस साल जनवरी में कोई बारिश नहीं हुई है. इसी तरह, कांगड़ा जिले में लगभग 6-7 सप्ताह तक लंबे समय तक शुष्क मौसम रहा है. इसका असर फसलों पर पड़ेगा.

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Himachal News: कांगड़ा में दिसंबर में 85 फीसदी तक बारिश की कमी, चौपट होने की कगार पर गेहूंहिमाचल प्रदेश में औसत से कम बारिश. (सांकेतिक फोटो)

हिमाचल प्रदेश में इस बार बारिश और बर्फबारी की घोर कमी है. बात करें अगर खेती-बाड़ी के गढ़ कांगड़ा की तो दिसंबर में इस क्षेत्र में सामान्य से लगभग 85 प्रतिशत कम बारिश होने के कारण, कृषि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इससे गेहूं की पैदावार प्रभावित हो सकती है. एक्सपर्ट ने कहा है कि क्षेत्र में गेहूं और अन्य फसलों में बीमारियों का प्रकोप हो सकता है. कांगड़ा जिले के चंगर क्षेत्र के किसान बलबीर चौधरी ने 'दि ट्रिब्यून' से कहा कि उन्हें बारिश के बाद फिर से गेहूं की फसल बोनी पड़ सकती है क्योंकि बोए गए शुरुआती बीज बारिश की कमी के कारण अंकुरित नहीं हो पाएं हैं.

पालमपुर कृषि विश्वविद्यालय की ओर से जारी एक सलाह के अनुसार, राज्य में पिछले साल नवंबर से सामान्य से कम बारिश हुई है. नवंबर 2023 में राज्य में 12.2 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य से 38 प्रतिशत कम थी, जबकि दिसंबर में यह आंकड़ा 85 प्रतिशत तक पहुंच गया. जनवरी में अब तक बारिश नहीं हुई है.

12 जिलों में औसत से कम बारिश

दिसंबर 2023 में हिमाचल प्रदेश के सभी 12 जिलों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई, जबकि इस साल जनवरी में कोई बारिश नहीं हुई है. इसी तरह, कांगड़ा जिले में लगभग 6-7 सप्ताह तक लंबे समय तक शुष्क मौसम रहा है. इसका असर फसलों पर पड़ेगा. गेहूं की फसल नवंबर में बोई गई थी और बेहतर कल्ले निकलने और बढ़वार के लिए तत्काल पानी की जरूरत है. इस सूखे से अन्य फसलों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. वर्तमान मौसम गेहूं में ख़स्ता फफूंदी और पीला रतुआ जैसी कुछ बीमारियों को बढ़ा सकता है. पालमपुर विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने कहा कि इस शुष्क मौसम के कारण गेहूं और अन्य फसलों में एफिड का प्रकोप बढ़ सकता है.

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कब होगी नहरों की मरम्मत?

हिमाचल और कांगड़ा जिले में लगभग 80 प्रतिशत खेती बारिश पर निर्भर है. बारिश नहीं होने से किसानों की समस्याएं और भी बढ़ गई हैं. पिछले मॉनसून के दौरान कांगड़ा जिले में उपलब्ध सिंचाई के स्रोत टूट गए थे. पिछले मॉनसून के दौरान लगभग 100 कुहल, सिंचाई नहरें टूट गईं. जल शक्ति विभाग ने कांगड़ा जिले में क्षतिग्रस्त सिंचाई योजनाओं की मरम्मत के लिए 100 करोड़ रुपये की मांग की थी. हालांकि, आज तक राज्य ने शाह नहर के खुल्स की मरम्मत के लिए कोई पैसा नहीं दिया है. पिछले मॉनसून के दौरान शाह नहर का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसके कारण कांगड़ा जिले के नूरपुर और इंदौरा में लगभग 4,000 हेक्टेयर भूमि सिंचाई के बिना रह गई है. शाह नहर की मरम्मत का काम अभी शुरू नहीं हुआ है.

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