राजस्थान में बेमौसम बारिश ने भारी तबाही मचाई है. बारिश और ओलावृष्टि से यहां के कई जिले प्रभावित हुए हैं, लेकिन चार जिलों में बारिश ने ज्यादा कहर ढाया है. ये चार जिले जलौर, बारां, धौलपुर और बाड़मेर हैं. यहां बारिश से किसानों की खड़ी फसलें चौपट हो गई हैं. इस भारी नुकसान के बाद किसानों ने सरकार से मुआवजे की मांग उठाई है. किसानों का कहना है कि इस मुश्किल वक्त में सरकार उनको साथ खड़ी हो, वरना उनका जीवन-यापन मुश्किल हो जाएगा. असल में पश्चिमी राजस्थान में बारिश के दिनों में भी सामान्य बारिश नहीं होती है, लेकिन, वहां कुदरत ने ओले गिरा दिए. इससे किसानों की लाखों रुपये की खड़ी फसल बर्बाद हो गई. कुछ ऐसा ही हाल बाड़मेर और धौलपुर में देखा गया. आइए जानते हैं कि राजस्थान के इन चार जिलों में बारिश ने किस कदर कहर बरपाया है.
बारां जिले में गुरुवार को भी लगातार आधा घंटा बारिश हुई है. बारिश के साथ तेज आंधी ने फसलों को तहस-नहस कर दिया. कई क्षेत्रों में ओलावृष्टि भी हुई जिससे गेहूं, धनिया, कलौंजी, मसूर, सरसों और अफीम की फसलों को भारी नुकसान हुआ. वही बुधवार को बारां जिले के कई इलाकों में भारी बारिश हुई थी. इससे फसलों को बहुत नुकसान हुआ. बारां शहर में भी आधा घंटा बारिश हुई. यहां के कई गांवों में बारिश और तेज आंधी के साथ बारिश से फसलों में काफी नुकसान हुआ है. बुधवार को जिले के कई क्षेत्रों में दोपहर बाद से बारिश का दौर शुरू हुआ जो शाम छह बजे तक जारी रहा.
जिन क्षेत्रों में ओलावृष्टि हुई वहां गेहूं, धनिया, कलौंजी, मसूर, सरसों, अफीम की फसलों में 70-75 फीसद तक नुकसान बताया जा रहा है. कई गांवों में जोरदार ओलावृष्टि से फसलें जमींदोज हो गईं. वहीं कई जगह बारिश से धनिया और अन्य फसलों में 50 फीसद नुकसान बताया जा रहा है.
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जिले भर में हुई तेज हवा के साथ बारिश और ओलावृष्टि से गेहूं, चना और धनिया की फसलों को काफी नुकसान हुआ है. इन दिनों सरसों, धनिया की कटाई चल रही है. कहीं-कहीं गेहूं की कटाई भी शुरू हो गई है. बारिश से खेतों में कटी पड़ी धनिया की फसल को काफी नुकसान हुआ है. पानी से धनिया काला पड़ जाएगा और इससे भाव कम मिलेगा.
देशभर में जीरे, इसबगोल और सरसों के सबसे अधिक उत्पादन वाला जिला जालोर में हुई अतिवृष्टि से अरबों रुपये का नुकसान हुआ है. जालोर के सांचौर, चितलवाना, रानीवाड़ा, भीनमाल में सबसे ज्यादा किसानों को नुकसान हुआ है. जालोर कृषि विभाग के उपनिदेशक आरबी सिंह ने बताया कि जालोर में सबसे ज्यादा इसबगोल की फसल में नुकसान हुआ है. ओले गिरने से इसबगोल के बीज जमीन पर गिर गए हैं. पूरे जिले से मिली रिपोर्ट के मुताबिक, इसबगोल में 80 प्रतिशत खराबा हुआ है. वहीं जीरा, सरसों, अरंडी, तारामीरा, गेहूं समेत अन्य फसलों में 30-30 प्रतिशत खराबा दर्ज हुआ है.
इसबगोल में अगर 80 प्रतिशत खराबा होता है तो जिले में करीब 35600 हेक्टेयर में खड़ी 2.13 अरब की फसल नष्ट हो गई है जबकि जीरा, सरसों और अरंडी में 30-40 प्रतिशत नुकसान हुआ है. अनुमान के हिसाब से यहां इसबगोल की 1.78 लाख क्विंटल पैदावार निकलती. ऐसे में 80 प्रतिशत खराबा के अनुसार 1.42 लाख क्विंटल फसल खराब हो गई है. वर्तमान में इसबगोल 15 हजार रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर है. इसी हिसाब से 2.13 अरब का नुकसान हुआ है.
बाड़मेर जिले के शिव, बायतु, चौहटन, गुड़ामालानी, धोरीमन्ना उपखंड के सैकड़ों गांवों में इसबगोल, जीरा, रायड़ा, अरंडी, तारामीरा समेत अन्य फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं. ऐसे में जिले के किसानों की मांग है कि सरकार तत्काल गिरदावरी करवाए और किसानों को उचित मुआवजा दिलवाए.
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बीते शनिवार को बाड़मेर जिले के कई इलाकों में शाम होते होते बारिश के साथ जमकर ओलावृष्टि हुई जिससे जीरा और इसबगोल की फसलें नष्ट हो गईं. शनिवार के बाद रविवार और फिर होली पर्व के दिन भी शिव उपखंड समेत आसपास के दर्जनों गांवों में भारी बारिश और ओलावृष्टि से भारी तबाही हुई. कई इलाकों में 90 प्रतिशत फसली खराबा हुआ तो कहीं 80 से 85 फीसदी खराबा हुआ है.
धौलपुर जिले के राजाखेड़ा उपखंड के चंबल किनारे बसे करीब आधा दर्जन गांव बरसला, घुरैया खेड़ा, कठूमरा, महदपुरा, गडराई में तेज आंधी के साथ करीब पचास मिनट तक बारिश हुई और करीब बीस से पच्चीस मिनट तक ओलावृष्टि हुई. इससे किसानों की सरसों, गेहूं और आलू फसल में भारी नुकसान की आशंका बताई जा रही है. इसके अलावा नकदी फसलों में धनिया, टमाटर, बैंगन, गाजर, गोभी को भी भारी नुकसान हुआ है. अब किसान सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं. (जालोर से नरेश विश्नोई, बारां से राम मेहता, बाड़मेर से दिनेश बोहरा और धौलपुर से उमेश की रिपोर्ट)
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