पंजाब के अलग-अलग हिस्सों में मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है. चारों ओर बादल छाए हुए हैं और तेज हवाएं चल रही हैं. ऐसे में पंजाब कृषि विश्वविद्यायल के मौसम विज्ञान विभाग ने किसानों को गेहूं की फसल पर खास ध्यान देने की अपील की है. कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों से गेहूं में सिंचाई नहीं करने की अपील की है. हालांकि पहले टर्मिनल हीट (सर्दी के तुरंत बाद शुरू हुई गर्मी) को देखते हुए गेहूं में सिंचाई की सलाह दी गई थी. अब सिंचाई नहीं करने की अपील है क्योंकि फसल में पानी देते ही पौधे गिर सकते हैं.
बीते सप्ताह में तापमान सामान्य से आठ से नौ डिग्री अधिक चल रहा था. मंगलवार को 29 डिग्री तक अधिकतम तापमान रिकॉर्ड किया गया था. रात का तापमान भी 12-13 डिग्री चल रहा है, जो सामान्य से चार से पांच डिग्री अधिक है. इतना अधिक तापमान गेहूं की फसल के लिए उचित नहीं है. इस बढ़े हुए तापमान से गेहूं की फसलों पर दबाव बना हुआ था, मगर अब किसान थोड़ी राहत की सांस ले रहे हैं. पंजाब में मौसम में आए अचानक बदलाव से किसानों में खुशी है.
पंजाब में बड़े पैमाने पर गेहूं की खेती होती है. अगर गर्मी की मार पड़ जाए तो फसल की पैदावार गिरने की आशंका है. अगर हल्की बारिश हो तो इससे सिंचाई के साथ-साथ तापमान गिरावट दोनों में मदद मिलेगी. फिलहार पंजाब में पश्चिमी विक्षोभ यानी कि वेस्टर्न डिस्टरबेंस का असर देखने को मिल रहा है. इससे बादल छाए हुए हैं और तेज हवाएं चल रही हैं.
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मौसम विभाग की मानें तो पंजाब में इस तरह के मौसम का असर आने वाले 24 से 48 घंटे तक रहने की संभावना है. इससे दिन और रात का तापमान भी गिरेगा, जो गेहूं के लिए फायदेमंद होगा. किसानों से अपील करते हुए पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने कहा कि इस दौरान गेहूं की फसल की सिंचाई नहीं होनी चाहिए और न ही उस पर स्प्रे किया जाना चाहिए. चूंकि गेहूं की बालियों से पौधे वजनी हो जाते हैं, इसलिए सिंचाई करने के बाद थोड़ी सी तेज हवा भी फसल को गिरा सकती है. इसी तरह फसल पर स्प्रे कर दें और बारिश हो जाए तो उसके धुल जाने का खतरा रहेगा.
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देश के कई इलाकों में मंगलवार-बुधवार की दरम्यानी रात बारिश दर्ज की गई है. इससे फरवरी के बढ़ते तापमान में थोड़ी राहत मिली है. किसानों ने भी राहत की सांस ली है क्योंकि उनकी गेहूं की फसल गर्मी की मार से बच गई है. हालांकि आने वाले दिनों में अधिक बारिश या ओलावृष्टि नहीं होनी चाहिए. अगर ऐसा होगा तो गेहूं के साथ सब्जियों और सरसों की फसल नष्ट हो सकती है. ऐसा हुआ तो किसानों को बड़ी मार झेलनी पड़ जाएगी.
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