महाराष्ट्र में मॉनसून का विस्तार हो चुका है. कई जिलों में भारी बारिश दर्ज की जा रही है. वहीं, वर्धा जिले में गुरुवार को मॉनसून की पहली बारिश ने ही बाढ़ जैसी स्थिति पैदा कर दी. वर्धा तालुका में यशोदा नदी में आई बाढ़ के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. हिंगणघाट तालुका का कानोली गांव बाढ़ के पानी से घिर गया, जबकि देवली तालुका के डिंगगडोहो गांव के पास एक स्कूली छात्र और दो ग्रामीण फंस गए. हालांकि, सौभाग्य से दोनों सफलतापूर्वक बचा लिया गया. वहीं, कई गांवों में करीब 2000 एकड़ खेती की जमीन पानी में डूब गई. बाढ़ की स्थिति को लेकर आजतक संवाददाता सुरेंद्र रामटेक ने देवली-पुलगांव के विधायक राजेश बकाणे से बात की.
विधायक राजेश बकाणे ने बताया कि देवली के दिगडोह में एक स्कूली छात्र और दो ग्रामीण बाढ़ के पानी में फंस गए थे. देवली नगर पालिका फायर ब्रिगेड तुरंत घटनास्थल पर पहुंची और फंसे हुए लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला. जिला खोज और बचाव दल भी तुरंत पहुंचा और उन्होंने बचाव कार्य में मदद की.
वहीं, आलमडोह और वर्धा-रालेगांव मार्ग पर सरूल स्थित यशोदा नदी के पुल के ऊपर से पानी बह रहा है, जिससे वर्धा से कानगांव तक का रास्ता पूरी तरह बंद हो गया है. कानोली गांव पूरी तरह से बाढ़ से घिर गया है. इससे गाडेगांव, आलमडोह, सोनेगांव, चानकी, दरने टाकली, मनसावली जैसे कई गांवों पर असर पड़ा है. इस क्षेत्र में लगभग 2,000 हेक्टेयर खेती की जमीन पानी में डूब गई है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है.
हिंगणघाट तालुका में कई नालों और नदी के पुलों से पानी बहने के कारण आलमडोह-अल्लीपुर यातायात ठप हो गया. हालांकि, गांव का संपर्क नहीं टूटा और आलमडोह-कानगांव यातायात जारी रहा. इसके अलावा कारंजा तालुका में खेत में काम कर रहे किसानों पर बिजली गिरने से घायल होने की जानकारी भी सामने आई है. प्रशासन ने प्राकृतिक आपदा में सभी को सावधानी बरतने निर्देशों का पालन करने की अपील की है.
हिंगोली जिले में दो दिन हुई भारी बारिश की वजह से पैनगंगा नदी में बाढ़ आ गई है और पास के गांवा में खेतों में पानी भर गया. इससे खेत में खड़ी सोयाबीन, तुअरऔर हल्दी की फसल बाढ़ के पानी में बह गई, जबकि बची फसलें पानी में डूब गईं.
प्रसाशन ने नदी किनारे के निचले गांवों में सुरक्षा दृष्टि से अलर्ट जारी किया है. (हिंगोली से ज्ञानेश्वर उंडाल का इनपुट)
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today