हरियाणा: ठंड और पाले ने चौपट की सरसों-सब्जी की फसल, हजारों एकड़ की खेती बर्बाद

हरियाणा: ठंड और पाले ने चौपट की सरसों-सब्जी की फसल, हजारों एकड़ की खेती बर्बाद

किसानों का कहना है कि भिवानी, हिसार और महेंद्रगढ़ (जिन इलाकों में सिंचाई की व्यवस्था नहीं है) जिले के गांवों में सबसे अधिक नुकसान देखा जा रहा है. इन जिलों में पिछले चार-पांच दिनों से पाले (frost) का बहुत अधिक असर पड़ा है. पाला और ठंड (cold) अगले कुछ दिनों तक बनी रह सकती है और इससे और अधिक नुकसान होने की संभावना है.

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ठंड और पाले ने चौपट की सरसों-सब्जी की फसल, हजारों एकड़ की खेती बर्बादहरियाणा में ठंड और पाले (frost) से सरसों-सब्जियों की फसल बर्बाद हो गई है

हिसार में कड़ाके की ठंड (cold) महसूस की जा रही है. न्यूनतम तापमान में लगातार गिरावट देखी जा रही है. इससे पाला (frost) और जमा देने वाली ठंड का असर बढ़ गया है. पाला और कड़ाके की ठंड से पूरे हिसार में सरसों (mustard crop) और सब्जियों (vegetable crop) की फसल को भारी नुकसान हुआ है. इन दोनों फसलों के लिए पाला और ठंड खतरनाक है. हिसार और भिवानी के किसानों का कहना है कि सरसों में अभी फूल आना शुरू ही हुआ था कि पाले ने फसल को भारी नुकसान कर दिया. इससे पूरी फसल मारे जाने की आशंका बढ़ गई है.

किसानों का कहना है कि भिवानी, हिसार और महेंद्रगढ़ (जिन इलाकों में सिंचाई की व्यवस्था नहीं है) जिले के गांवों में सबसे अधिक नुकसान देखा जा रहा है. इन जिलों में पिछले चार-पांच दिनों से पाले (frost) का बहुत अधिक असर पड़ा है. पाला और ठंड (cold) अगले कुछ दिनों तक बनी रह सकती है और इससे और अधिक नुकसान होने की संभावना है. इस रबी सीजन (rabi season) में हिसार में 3.75 लाख एकड़ और हिसार में 2.4 लाख एकड़ में सरसों की खेती की गई है.

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भिवानी जिले के किसान दयानंद पूनिया ने 'दि ट्रिब्यून' से कहा कि कई गांव जैसे कि सिवनी, लीलास, गेंदावास, झुप्पा कलां और झुप्पा खुर्द में नहर से सिंचाई की व्यवस्था नहीं है. इन गांवों में रबी सीजन में सरसों (mustard) और चने की खेती की जाती है. चूंकि ये इलाके राजस्थान से सटे हैं, यहां न्यूनतम तापमान कुछ दिनों से जमाव बिंदु के नजदीक देखा जा रहा है. इस तरह के मौसम में सरसों और चने पर बेहद बुरा असर पड़ता है.

बहबलपुर गांव के किसान सत्यवान सिंह भी कुछ इसी तरह की बात बताते हैं. इन्होंने दो एकड़ खेत में सरसों की खेती (mustard farming) की है. उनकी फसल में फूल आने शुरू हो गए थे. लेकिन पाले की वजह से उनकी 80 फीसद सरसों की फसल चौपट हो गई है. अगर अगले कुछ दिनों में तापमान थोड़ा बढ़ भी जाता है या मौसम में सुधार आता है, तो भी मारी गई फसलें जिंदा नहीं हो सकतीं. 

हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के मस्टर्ड ब्रीडर साइंटिस्ट डॉ. राम अवतार कहते हैं, पिछले तीन-चार दिनों से पाला और कम तापमान ने बिना सिंचाई वाले और निचले इलाके के खेतों में सरसों की फसल को नुकसान पहुंचाया है. इसका असर भिवानी, महेंद्रगढ़ और हिसार के कुछ हिस्सों में देखा जा रहा है. सरसों और सब्जियों (vegetable farming) का कितना नुकसान हुआ है, इसकी पूरी जानकारी अगले एक हफ्ते में मिल पाएगी.

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हिसार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट का कहना है कि जिन लोगों ने सरसों और सब्जियों में सिंचाई की है, उनकी फसल का नुकसान कम हुआ है. सरसों में हल्की सिंचाई करने से पाले का असर कम होता है. वैज्ञानिक ने कहा कि एक दिन और पाले का असर रहने का अनुमान है, उसके बाद न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी हो सकती है. भिवानी कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. आत्मा राम गोदारा ने कहा, सरसों की फसल पर मौसम की मार देखी जा रही है, लेकिन कितना नुकसान हुआ है उसके बारे में पूरी जानकारी देने में कुछ वक्त लगेगा.

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